Saturday 29 December 2018
कागज-कलम का जोड़ा........!!!📝
Tuesday 25 December 2018
कागज-कलम की ताकत📝
Monday 24 December 2018
गद्दारों के डर से क्या कमल खिलना छोड़ दे...?🌷
Friday 21 December 2018
यही तो संस्कार है।.....😔
आँखे हम भी तरेर सकते है,
गाली हम भी भौंक सकते है,
पर यहां शर्म अंगीकार है।
यही तो संस्कार है।.....😔
वार तो हमें भी आता है,
तकरार की भी हमारी गाथा है,
पर ऐसे हमें धिक्कार है।
यही तो संस्कार है।.....😔
तोड़ना हमारे खून में है,
मरोड़ना हमारे जुनून में है,
पर नहीं हम ऐसे मक्कार है।
यही तो संस्कार है।.....😔
राज तो हमारा बरसों से है,
आपसी मतभेद सिर्फ तरसों से है,
पर यह नहीं हमारा प्रकार है।
यही तो संस्कार है।.....😔
जिगरा हम भी रखते है,
शौले हमारे यहां भी पकते है,
पर हम नहीं सरकार है।
यही तो संस्कार है।.....😔
रंग बदलना हम भी जानते है,
नरमुंडों की माला हम भी मानते है,
पर यहां हम करते सत्कार है।
यही तो संस्कार है।.....😔
कुछ गौते ऐसे होते है, जो पानी में नहीं, पुरानी यादगार यादों में लगाएं जाते है।😞
आज कुछ शांत बैठा था। बैठे-बैठे यू ही कुछ पुरानी यादों के संस्मरण याद आ रहे थे। कई अच्छे-बुरे संस्मरण आँखों के सामने से ऐसे गुजर रहे थे कि ऐसे महसूस हो रहा था जैसे वे अभी-अभी मेरे साथ बीतें हो। इन संस्मरण के बीच एक ऐसा संस्मरण याद आया, जिसने अचानक मेरे सोचने की दिशा और दशा ही बदल दी। अचानक याद आये इस संस्मरण ने मेरी आँखों को भिगो दिया और मुझे बहुत पहले के समय में गौता खाने को मजबूर कर दिया। यह संस्मरण था.......
16 सितंबर, 2018 को हुई जयपुर में भगवा फ़ोर्स की प्रदेश स्तरीय बैठक का...!
(मेरी फीलिंग्स को शब्दों में पिरोने की एक असफल कोशिश की, पर उस अहसास को तो मैं शब्दों में बांध ही नहीं पाया...........!!!)
भगवा फ़ोर्स की प्रदेश स्तरीय पहली बैठक (जो जयपुर में आयोजित हुई) में जिस तरह अध्यक्षजी श्री धर्मवीर जी चावला ने बड़े अपनत्व के साथ मुझे सम्मान दिया था, उपाध्यक्षजी श्री सचिन जी त्यागी ने मुझे बड़े प्यार से अपनी छाती से लगाया था, संगठन महामंत्रीजी श्री अमित जी भारद्वाज ने मुझे अपनेपन के साथ हिंदी का ज्ञान दिया था और जयपुर संभाग अध्यक्षजी श्री पंकज जी शर्मा ने बड़े भाई का प्यार और दुलार दिया था। अचानक मेरे आँखों के सामने यह दृश्य ज्वलंत हो उठे। उन स्वर्णिम पलों को भूल थोड़ी सकता हूँ। वह पल मेरे लिए यादगार बन गए। वहां मुझे किंचित मात्र भी महसूस नहीं हुआ कि मैं आप सभी से पहली बार मिल रहा हूँ और आप में से किसी को जानता तक नहीं। मेरी योग्यता को कसौटी पर कसने के लिए जो जगह मुझे भगवा फ़ोर्स ने दी, वह आज तक किसी ने नहीं दी। यू समझ लो कि भगवा फ़ोर्स से जुड़ने के बाद मुझे सब कुछ मिल गया, जो कि मेरा सपना है। जब भी मैं जयपुर के उन पलों को याद करता हूँ तो मेरी आँखें छल-छला जाती है और चेहरा खुशी से चमकने लगता है। यह आपने मेरे द्वारा लिखे जयपुर के यात्रा वृत्तांत में भी पढ़ा होगा। यात्रा वृत्तांत में लिखा एक-एक शब्द मेरी दिल की गहराइयों से निकला हुआ है।
Tuesday 18 December 2018
भगवा फ़ोर्स उदयपुर की साधारण बैठक सम्पन्न.
आज भगवा फ़ोर्स, उदयपुर जिले की साधारण बैठक एवं एक दिवसीय गौ रक्षा प्रशिक्षण का आयोजन पशु-पक्षियों और जानवरों के अस्पताल एनिमल एड में रखा गया था। यह आयोजन जिला अध्यक्ष यशवंत सेन के तत्वावधान में हुआ। जिसमें सभी भगवा भाईयों का बहुत ही सराहनीय योगदान रहा।
Thursday 29 November 2018
मेवाड़ युवा शक्ति फ़ाउंडेशन की टीम को फाइनल जितने पर बधाई.
जय जिनेन्द्र🙏
Monday 26 November 2018
क्योंकि मैं कमल हूँ.....!🌷
राष्ट्र का अभिमान हूँ,
देशभक्तों की शान हूँ,
गद्दारों के लिए अपमान हूँ।
मोदी की आवाज हूँ,
बीजेपी का साज हूँ,
विरोधियों के लिए बाज हूँ।
नारी शक्ति का भेष हूँ,
सेना का तेष हूँ,
टेक्नोलॉजी का Wireless हूँ।
युवाओं का बल हूँ,
सैलानी का थल हूँ,
आधुनिकता का पल हूँ।
Wednesday 21 November 2018
गुलाबी नगरी की मेरी पहली यात्रा की कुछ स्मृतियाँ भाग 09.
Saturday 17 November 2018
गुलाबी नगरी की मेरी पहली यात्रा की कुछ स्मृतियाँ भाग 08.
पढ़ते रहिए, गुलाबी नगरी की......... भाग 09.
Wednesday 14 November 2018
गुलाबी नगरी की मेरी पहली यात्रा की कुछ स्मृतियाँ भाग 07.
पढ़ते रहिए, गुलाबी नगरी की......... भाग 08.
Tuesday 13 November 2018
एक ऐसा भव्य काफिला, जो अपने सौभाग्य को लेने चला..! भाग 04.
2019 का चातुर्मास हो कड़ियाँ में बढियां।।"
एक ऐसा भव्य काफिला, जो अपने सौभाग्य को लेने चला..! भाग 03.
अगला चातुर्मास हो पक्का कड़ियाँ।।"
Wednesday 31 October 2018
एक ऐसा भव्य काफिला, जो अपने सौभाग्य को लेने चला..! भाग 02.
कड़ियाँ दीक्षा स्थली हो 2019 वर्षावास।।"
Monday 29 October 2018
एक ऐसा भव्य काफिला, जो अपने सौभाग्य को लेने चला..! भाग 01.
2019 वर्षावास हो कड़ियाँ में सफल।।"
मेवाड़ के गुरुभक्त अपने गुरु को लेने भव्य काफिले के साथ भीलवाड़ा की ओर कूच कर रहे थे। गुरु सौभाग्य की दीक्षा स्थली, कड़ियाँ से, भुताला से, उदयपुर से मुम्बई से बस द्वारा और अपने निजी वाहन से कई भक्त अपने गुरु को लेने जा रहे थे।
कुछ ही घंटों बाद यह काफिला विश्व प्रसिद्ध वस्त्रों की नगरी भीलवाड़ा में प्रवेश कर गया। जहां का वातावरण गुरुवृन्द के श्रीचरणों से ज्योतिर्मय तो था ही, गुरुभक्तों के प्रवेश के साथ ही भक्तिमय भी हो गया और देखते ही देखते कई सौ गुरुभक्तों ने भव्य काफिले से एक भव्य जुलुष का रूप धारण कर लिया और चल पड़ा अपने आराध्य को लेने....
Wednesday 19 September 2018
गुलाबी नगरी की मेरी पहली यात्रा की कुछ स्मृतियाँ भाग 06.
आज भाग 06 में आप पढ़ेंगे...! मुख्य सड़क से गोविंद देव जी का मंदिर तक का यादगार सफर.
हवा महल से थोड़ा आगे जाने पर प्रसिद्ध गोविंद देव जी का मंदिर में प्रवेश करने के लिए दो दरवाजे है। जिसमें से मैंने दूसरे दरवाजे को चुना, इन दरवाजों से गुजरने के बाद हम मंदिर की तरफ बढ़ सकते है। मुख्य सड़क पर बने दूसरे दरवाजे में प्रवेश के बाद करीब 500 मीटर चलने के बाद गोविंद देव जी का मंदिर का एक ओर दरवाजा आता है। इस 500 मीटर की सड़क पर दोनों तरफ अच्छा मार्किट है। जहां विभिन्न प्रकार की दुकानें भी नजर आने लगी, जिनमें चाय-नाश्ते से लेकर प्रसाद आदि विभिन्न प्रकार की चीजें बिक रही थी। वैसे मैं सुबह काफी जल्दी गया था, जब तक मार्किट पूरी तरह से खुले ही नहीं थे और दूसरा रविवार होने की वजह से ज्यादातर मार्किट बन्द ही रहते है। तो मैं पूरे खुले मार्किट को नहीं देख पाया। यह एक इच्छा अधूरी रह गयी। जो अगली बार की जयपुर यात्रा के समय पूरी करूँगा। इसी मार्किट में एक बहुत ही बड़ा गुरुद्वारा भी है, जिसमें सिक्ख धर्म के लोगों के अलावा भी अन्य धर्म के लोग जा रहे थे। इस गुरुद्वारे में एक विद्यालय भी चल रहा है, जो शायद सिक्ख धर्म का ही होगा, जो श्री गुरुनानक देव माध्यमिक विद्यालय (सेवा संघ) के नाम से जाना जाता है। यह एक धार्मिक मुझे भी अंदर से गुरुद्वारा देखने की इच्छा हुई, पर समय की मर्यादा को ध्यान में रखकर बाहर से ही नमन कर आगे बढ़ गया।
थोड़ा आगे चलने पर एक ओर दरवाजा आता है। इस दरवाजे से अंदर प्रवेश करने पर दोनों तरफ फूल-माला, प्रसाद, भगवान के वस्त्र, अगरबत्ती, मिठाई आदि की दुकानें थी, जहां लोगो का जमावड़ा लगा हुआ था। चूंकि मैं पहली बार यहां आया तो मुझे पता नहीं था कि यहां मंदिर में क्या चढ़ाया जाता है? तो इसकी जानकारी के लिए मैंने वही एक दुकानदार को पूछा, तो उसने मुझे बताया कि यहां अत्तर, अगरबत्ती और प्रसाद चढ़ा सकते है। तो मैंने अत्तर, अगरबत्ती और प्रसाद के रूप में मिश्री ले ली, क्योंकि मुझे पता है कि कृष्ण भगवान को मिश्री का भोग लगाया जाता है। इस तरह मैंने अत्तर, अगरबत्ती और मिश्री के साथ श्री गोविंद देव जी का मंदिर के मुख्य दरवाजे में प्रवेश किया। जिसमें से होकर गुजरने के बाद सब तरफ लोग ही लोग नजर आने लगे। गोविंद देव जी का मंदिर में प्रवेश के साथ ही एक अलग ही शांति का अनुभव होता है। श्री गोविंद देव जी का मंदिर के मुख्य दरवाजे के बाहर से ही सब तरफ जय श्री कृष्णा और राधे-राधे की आवाजें आने लगी। वहां श्री कृष्णा के भजन भी लगातार चल रहे थे, जिससे कि एक भक्तिमय माहौल अनायास ही बन रहा था और अपने अंदर एक धनात्मक (Positive) ऊर्जा का एहसास हो रहा था।
कृमशः...
(आगे... गोविंद देव जी का मंदिर की भव्यता और इससे जुड़े इतिहास का वर्णन)
पढ़ते रहिए, गुलाबी नगरी की......... भाग 07.
गुलाबी नगरी की मेरी पहली यात्रा की कुछ स्मृतियाँ भाग 05.
आज भाग 05 में आप पढ़ेंगे...! ऐतिहासिक धरोहरों के साथ आधुनिक तकनीक का शानदार संगम.
जयपुर अपनी रंगत बिखेरता हुआ नजर आ रहा है और उस रंगत के साथ कुछ आधुनिक तकनीकी भी जुड़ रही है। जयपुर मेट्रो का कार्य निरंतर चल रहा है, हालाकि जयपुर में मेट्रो बहुत पहले से ही अपनी सेवाएं दे रही है और अब इसकी सेवाओ को ओर बढ़ाया जा रहा है। जो कि इस ऐतिहासिक नगरी के सिर पर ताज का काम करेगी। इस ऐतिहासिक नगरी की उपयोगिता सुप्रसिद्ध है, क्योंकि यह राजस्थान की राजधानी भी है, जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। जयपुर को गुलाबी नगरी भी कहा जाता है, जो कि इसे देखने के बाद चरितार्थ हो जाता है। क्योंकि यहां की ज्यादातर इमारतें गुलाबी रंग से रंगी गयी है। यहां के स्कूल, पुलिस चौकी और विभिन्न सरकारी संस्थान भी ज्यादातर गुलाबी ही नजर आएंगे।
विभिन्न मार्किट से आगे निकलने पर एक बहुत ही विशाल इमारत पर मेरी नज़र पड़ी, जो कि काफी ऊंची और बहुत से गौखरों से भरी इमारत थी। यह इमारत विश्व प्रसिद्ध और अपने आप में इतिहास को समेटे हुए हवा महल नामक महल था, जो राजा-महाराजाओं के जमाने में बना था। हवा महल को बनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य था कि जब राजा-महाराजा युद्ध जीतकर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए पूरे राज्य में सवारी निकालते थे, तो उस सवारी को रानियां भी देख सके। राजस्थान में घूंघट प्रथा होने से रानियों का सवारी देखना संभव नहीं था, तो किसी राजा ने हवा महल का निर्माण करवाया, जिससे रानियां तो सवारी देख सके पर बाहर का कोई व्यक्ति रानियों को नहीं देख सके।
कृमशः...
(आगे... मुख्य सड़क से गोविंद देव जी का मंदिर तक का यादगार सफर) पढ़ते रहिए, गुलाबी नगरी की......... भाग 06.
गुलाबी नगरी की मेरी पहली यात्रा की कुछ स्मृतियाँ भाग 04.
आज भाग 04 में आप पढ़ेंगे...! गुलाबी नगरी के बहुत ही रोमांचित कर देने वाले क्षण.
रेलवे स्टेशन के बाहर से बस द्वारा गोविंद देव जी का मंदिर
जा रहा था, तो रास्ते में "चाँद पोल" नाम का एक बड़ा सा गेट (दरवाजा) आया, जो शायद बहुत पुराना होगा (राजा महाराजाओं के जमाने का)। इसके बारे में जब मैंने बस ड्राइवर को पूछा तो उन्होंने बताया कि यह तो जब से जयपुर बना, तभी से ही है। मतलब यह एक ऐतिहासिक दरवाजा है, जो काफी पुराना है। इसे सड़क के बीचों-बीच इस तरह बनाया गया है कि सड़क पर चलने वाले साधनों को इसके नीचे से गुजरना पड़ता है। इस दरवाजे में दो बड़े-बड़े लकड़ी के दरवाजे (किवाड़) भी लगे है, जिन्हें यदि बंद कर दिया जाए तो यातायात रुक जाएगा।
चाँद पोल गेट से थोड़ा आगे चलने के बाद एक बहुत पुराना मार्किट है, जिसको देखने से ही यह पता चल जाता है कि यह बहुत पुराना होगा। इस मार्किट के बारे में एक सहयात्री से बात करने पर पता चला कि यह काफी पुराना मार्किट है, जिसका रंगाई-पुताई का कार्य अभी कुछ ही समय पहले हुआ है, जिस कारण यह थोड़ा चमक रहा है। इस मार्किट का नाम पूछने पर उसने "छोटी चौपड़" बताया। छोटी चौपड़ नामक मार्किट के आगे भी इसी तरह के कई मार्किट है, जिनके नाम गंगोरी बाजार, बड़ी चौपड़ आदि आदि है। एक जैसी आकृति में और एक ही रंग के यह मार्किट मुझे काफी पसंद आये। जिनमें आगे विभिन्न दुकानों के नाम भी एक सरीखे लिखे हुए थे। एक सफेद बॉक्स में काले रंग से एक ही फॉन्ट और साइज में लिखे नाम ऐसे लग रहे थे, जैसे सब एक ही कारीगर की कारीगरी हो। एक ही धागे में एक सरीखे मोतियों की तरह वे इतिहास के साथ-साथ एकता का भी संदेश दे रहे थे।
कृमशः...
(आगे... ऐतिहासिक धरोहरों के साथ आधुनिक तकनीक का शानदार संगम) पढ़ते रहिए, गुलाबी नगरी की......... भाग 05.