Wednesday 19 September 2018

गुलाबी नगरी की मेरी पहली यात्रा की कुछ स्मृतियाँ भाग 05.

आज भाग 05 में आप पढ़ेंगे...! ऐतिहासिक धरोहरों के साथ आधुनिक तकनीक का शानदार संगम.

जयपुर अपनी रंगत बिखेरता हुआ नजर आ रहा है और उस रंगत के साथ कुछ आधुनिक तकनीकी भी जुड़ रही है। जयपुर मेट्रो का कार्य निरंतर चल रहा है, हालाकि जयपुर में मेट्रो बहुत पहले से ही अपनी सेवाएं दे रही है और अब इसकी सेवाओ को ओर बढ़ाया जा रहा है। जो कि इस ऐतिहासिक नगरी के सिर पर ताज का काम करेगी। इस ऐतिहासिक नगरी की उपयोगिता सुप्रसिद्ध है, क्योंकि यह राजस्थान की राजधानी भी है, जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। जयपुर को गुलाबी नगरी भी कहा जाता है, जो कि इसे देखने के बाद चरितार्थ हो जाता है। क्योंकि यहां की ज्यादातर इमारतें गुलाबी रंग से रंगी गयी है। यहां के स्कूल, पुलिस चौकी और विभिन्न सरकारी संस्थान भी ज्यादातर गुलाबी ही नजर आएंगे।

विभिन्न मार्किट से आगे निकलने पर एक बहुत ही विशाल इमारत पर मेरी नज़र पड़ी, जो कि काफी ऊंची और बहुत से गौखरों से भरी इमारत थी। यह इमारत विश्व प्रसिद्ध और अपने आप में इतिहास को समेटे हुए हवा महल नामक महल था, जो राजा-महाराजाओं के जमाने में बना था। हवा महल को बनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य था कि जब राजा-महाराजा युद्ध जीतकर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए पूरे राज्य में सवारी निकालते थे, तो उस सवारी को रानियां भी देख सके। राजस्थान में घूंघट प्रथा होने से रानियों का सवारी देखना संभव नहीं था, तो किसी राजा ने हवा महल का निर्माण करवाया, जिससे रानियां तो सवारी देख सके पर बाहर का कोई व्यक्ति रानियों को नहीं देख सके।

कृमशः...

(आगे... मुख्य सड़क से गोविंद देव जी का मंदिर तक का यादगार सफर) पढ़ते रहिए, गुलाबी नगरी की......... भाग 06.

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