Wednesday 11 September 2019

तो चौकीदार चोर कैसे...?👮

कांग्रेस:
आपने 60 साल देश चलाया,
आपने ही देश को लुटाया,
आपने ही गरीबों को मिटाया,
आपने ही कोयला खाया।

भाजपा:
उसने तो 05 साल ही बिताएं,
राजनीतिक परिवारवाद को जताएं,
विदेशी निवेश को पटाएं,
पाकिस्तान को भी कुटाएं।

तो बोलो, बोलो...!

चौकीदार चोर कैसे...?👮

कांग्रेस:
गरीब जनता का पैसा खाएं,
स्विस बैंक में एकाउंट पाएं,
पाकिस्तान के कदमो में जाएं,
आतंकियों को देश में है लाएं।

भाजपा:
जन धन खाते में पैसे आएं,
गैस उज्ज्वला संग साथ निभाएं,
स्वच्छ गंगा का तोहफा दिलाएं,
Make In India है बनाएं।

तो बोलो, बोलो...!

चौकीदार चोर कैसे...?👮

Tuesday 30 April 2019

जैन: विलुप्ति की कगार पर खड़ी एक सभ्य और सुसंस्कृत मानव सभ्यता.

हाथ से फिसलते संस्कार, रेत की तरह सने-सने...!⏳
(संस्कारों को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक छोटा सा कदम, जिसे दौड़ आप ही बनाएंगे।) भाग 01.

(एक ऐसा सफर, जो हमें "अहिंसा परमो धर्म" से "हिंसा परमो धर्म" की ओर ले जा रहा है और हमें पता ही नहीं...! क्योंकि हम एक-दूसरे को बेवकूफ समझ रहे है।)

जीव जगत और प्रकृति का रिश्ता बहुत पुराना और शुरू से ही घनिष्ठ रहा है। क्योंकि यह दोनों एक-दूसरे के पूरक है। जीव जगत अपनी हर आवश्यकता के लिए प्रकृति पर निर्भर है और प्रकृति अपना हर उपहार जीव जगत को सौंप देती है और यही अविरल चलने वाला सिलसिला ही दुनिया को बनाएं हुए है।

जीव जगत का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है मानव और उसकी सभ्यता। मानव, प्रकृति द्वारा जीव जगत को दिया सबसे अनमोल तोहफा है। मानव को प्रकृति ने लगभग सबसे अंत में बनाया, लेकिन सबसे ज्यादा योग्यताओं से नवाजा भी और इन योग्यताओं का मानव ने बखूबी इस्तेमाल भी किया है। आज मानव ने अपने बल पर दुनिया को मुट्ठी में कर लिया है। मानव ने न सिर्फ अपना विकास किया, बल्कि दुनिया को भी बहुत आगे ले गया है। आज हम जो आधुनिक दुनिया देख रहे है, यह सब मानव की कल्पना का ही परिणाम है।

कहते है न कि आधुनिकता अच्छी बात है। पर इस आधुनिकता के चलते प्रकृति के साथ छेड़छाड़ सबके लिए पतन का कारण बनती है। मानव ने दुनिया को अपनी कल्पनाशक्ति से बहुत आगे तक ले जाने में सफलता अर्जित की है, पर उसके साथ ही उसने प्रकृति और उसके नियमों की अनदेखी भी की है। इससे प्रकृति का जो चक्र था, वह एक तरह से टूट-सा गया है। जिससे प्रकृति का रिश्ता मानव के साथ-साथ समस्त जीव जगत से ही टूटता-सा प्रतीत हो रहा है और जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो शायद बहुत देर हो चुकी होगी और आने वाले कुछ ही सालों में जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल हो जाएगा।

आज मानव को छोड़ दे तो बाकी के समस्त जीव जगत ने प्रकृति के जीवन चक्र को तोड़ने में अपना 0% योगदान ही दिया है। मतलब मानव का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 100% योगदान है और इसी का परिणाम यह हुआ कि प्रकृति द्वारा प्रदत्त कई अनमोल उपहार विलुप्त हो चुके है, जो शायद हम या हमारी आने वाली पीढियां उन्हें कभी नहीं देख पाएंगे। ऐसे बहुत से उपहार है, लेकिन आज मैं एक ऐसे प्राकृतिक उपहार की बात करूंगा, जो आपको अंदर तक हिला देगा। जो अब शायद बहुत ही कम बचा है....!

और वह है.... जैन सभ्यता...!

हां, आपने एकदम सही पढ़ा। एक ऐसा प्राणी, जिसे दुनिया में सबसे शांत प्रवृत्ति का और सबसे सभ्य माना जाता था। पर बड़े अफसोस की बात है कि अब यह विलुप्तप्रायः की श्रेणी से भी निकल चुका है और पूरी तरह विलुप्ति की कगार पर खड़ा है। बस यह प्राणी कुछ ही संख्या में बचा है और जिस तरह का माहौल दिख रहा है, उस हिसाब से तो बहुत कम समय में ही यह दुनिया से पूरी तरह विलुप्त हो जाएगा।

अब मैं आपकी मनोस्थिति को समझ सकता हूँ और आपके मन में वर्तमान में चल रहे विचारों और सवालों को भी अच्छी तरह समझ पा रहा हूँ। आप यही सोच रहे है ना कि दुनिया में जैनियों की इतनी जनसंख्या है। फिर यह विलुप्तप्रायः कैसे हो सकता है? तो आपके मन में चल रहे इस सवाल के जवाब को और मेरे द्वारा लिखें इस लेख को समझने के लिए कुछ बातें समझना बेहद जरूरी है। जो शायद आप भी जानते है।

सबसे पहला सवाल आता है कि दुनिया में जैनियों की इतनी संख्या होने के बावजूद यह विलुप्तप्रायः कैसे? तो इसके लिए हमें सबसे पहले जैन की परिभाषा समझनी होगी और साथ ही क्या हम सही मायनों में जैन है? यह भी सोचना होगा।

भगवान महावीर द्वारा बताएं मार्ग पर चलकर पांच महाव्रतों का पलन करने वाला ही सही मायनों में जैन कहलाता है। क्योंकि जैन जन्म से नहीं, कर्म से बना जाता है और अगर ऐसा नहीं होता तो महावीर स्वामी या बाकी के 23 तीर्थंकर पूजनीय नहीं होते। उन्हें जैन कभी भी नहीं पूजते। क्योंकि 24 के 24 तीर्थंकर जन्म से जैन थे ही नहीं, वह तो क्षत्रिय थे, राजकुमार थे। पर उन्होंने अपने कर्मों के आधार पर जीवन को क्षत्रिय से जैन बना लिया और अपने जीवन के साथ ही साथ अपने कुल-वंश के नाम को भी अमर बना लिया। वह मोक्षगामी बनें और आज भी महाविदेह क्षेत्र में ध्यानमग्न विराजमान है।

पर आज ऐसा नहीं है। आज आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम सब जैन कुल में जन्म लेने के बाद भी जैन नहीं बन पा रहे है। 24 तीर्थंकर क्षत्रिय से जैन बने थे और हम जैन से क्षत्रिय बन रहे है। 24 तीर्थंकर क्षत्रिय से सच्चे और अच्छे जैन बने थे और हम जैन से सच्चे और अच्छे क्षत्रिय भी नहीं बन पा रहे है। मतलब हम ना ही सही मायनों में जैन बन पाए है और ना ही क्षत्रिय।

वैसे तो आजकल आधुनिकता के नाम पर जैन सिद्धांतों के खिलाफ बहुत कुछ हो रहा है। पर कुछ बातें तो ऐसी हो रही है, जिनका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हमें कुछ भी फायदा नहीं है। फिर हम यह सब क्यों करते है? यह आज तक मुझे समझ नहीं आया।

आजकल शादियों में एक नई तरह की आधुनिकता और बड़ी ही अजीब स्थिति देखने को मिल जाएगी, जो कुछ सालों पहले बिल्कुल नहीं थी। अभी कुछ ही सालों से यह शुरू हुआ है। जो आपने भी महसूस किया होगा।

आजकल शादियों में घोड़े के साथ एक छोटा लड़का आता है और वह बिन्दोली आदि में घोड़े के ऊपर खड़ा होकर नाचता है, घोड़े के पैरों में से निकलता है, घोड़े के एक पैर के नीचे सोता है और घोड़े की पूछ से ऐसे लटकता है, जैसे रस्सी से लटकता हो। यह ऐसे करतब दिखाकर लोगों के आकर्षण का केंद्र बनने का प्रयत्न करता है।

मैं भी अभी कुछ दिन पहले अपने एक रिश्तेदार की शादी में गया था। यह नजारा मैंने वही पर देखा। एक छोटा लड़का घोड़े के ऊपर चढ़कर नाच रहा था, कुछ देर बाद वह घोड़े के अगले एक पाँव के नीचे सो कर करतब दिखाने लगा। यहां तक तो ठीक था। क्योंकि यहां तक घोड़े को कोई तकलीफ महसूस होती मुझे नहीं दिखी। पर जैसे ही वह लड़का घोड़े की पूँछ को रस्सी की तरह बनाकर जैसे ही उसके सहारे घोड़े के नीचे लटका, मेरा दिल अचानक से मचल गया। ऐसे लगा, मानों वह लड़का घोड़े की पूँछ से नहीं, बल्कि मेरी पूँछ से लटक रहा हो और मुझे अपने अंदर ऐसा दर्द महसूस हुआ कि मेरा पूरा शरीर ही कांप गया। ऐसे लगा, जैसे मानों घोड़ा जोर से रोते हुए चीख कर गिड़गिड़ा रहा हो कि, "छोड़ दो मुझे। मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मैं मर जाऊंगा।" पर कुछ ही समय में मुझे होश आया कि बिचारा यह बेजुबान और गुलाम जानवर तो अपनी संवेदनाएं भी व्यक्त नहीं कर सकता। क्योंकि यह प्रकृति की सबसे अनमोल कृति के हाथों की कठपुतली है और अनायास ही मेरा दिल अंदर ही अंदर रो पड़ा और ऐसे रोने लगा कि उसको सूद ही नहीं रही कि वह घोड़े का नहीं, मेरा दिल है।

इस नजारे के बाद मेरे अंदर दुःख था, शादी की खुशियां तो जैसे मुरझा ही गयी थी। पर दुःख से ज्यादा मेरे अंदर गुस्सा था और यह गुस्सा उस घोड़े वाले या उसके किसी परिवार के सदस्य के प्रति नहीं था। यह गुस्सा था जैन समाज के उन बड़े-बड़े पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों के प्रति, जिनको सिर्फ पद पर बैठकर राजनीति करनी है। यह गुस्सा था जैन समाज के उन समाजसेवकों के प्रति, जिनको समाज ने पदको से नवाज दिया, उनको अपने नाम और फ़ोटो के आगे उस जानवर का दर्द नहीं दिख रहा क्या? यह गुस्सा था जैन समाज के उन साधु-संतों के प्रति, जिनको यह सब पता भी नहीं है कि उनके चहेते भक्त उस बेजुबां जानवर के प्रति कितनी निर्दयता कर रहे है? यह गुस्सा था, जैन समाज के उस तबके के प्रति, जो चाह कर भी कुछ नियम बनाकर ऐसी अहिंसक गतिविधियों पर सदा के लिए पाबंदी नहीं लगा रहा।

मेरी कुछ बातें बहुत से लोगों को कड़वी भी लगेगी और उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाली भी लगेगी। कुछ लोग मुझ पर गुस्सा भी करेंगे। मुझे डराएंगे-धमकाएँगे भी। लेकिन इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि हम जैसे समाज के बहुत अदने से श्रावकों को इस पर गुस्सा होना पड़ता है, क्योंकि जो ऐसी गतिविधियों पर पाबंदी लगा सकते है, उनको राजनीति करने से फुरसत नहीं है। मैं कहता हूँ, आप राजनीति करें। क्योंकि आप ऐसा कर सकते है। पर कुछ तो अपने पद का सही उपयोग भी कर ले, कुछ तो सही राजनीति भी कर लें। कुछ तो उस महावीर की सुनी बातों को समाज में चला ले। क्योंकि आप ऐसा कर सकते है। यदि आप राजनीति कर सकते है और कर रहे है। तो क्या ऐसे अत्याचारों को आप नहीं रोक सकते? और यदि रोक सकते है, तो रोककर दिखाओ न....! कायरों की तरह क्यों सिर्फ देखकर मुँह मोड़ लेते हो।

मेरे उन सभी समाजसेवकों, गुरुभक्तों और प्रतिष्ठित पदासीन व्यक्तियों से कुछ सवाल...! (जिनका जवाब मुझे नहीं दे, पर अपने अंतर्मन में समझ ले, बड़ी ही ईमानदारी के साथ। क्योंकि अंतर्मन न ही कभी झूठ बोलता है और न ही कभी गलत बोलता है।)...
Q. 01. क्या यह उस गुलाम घोड़े के साथ ज्यादती या अत्याचार नहीं है?
Q. 02. क्या हमें नहीं लगता कि उस घोड़े के मुँह में लगाम लगाकर उसके साथ कुछ भी किया जा रहा है? क्योंकि वह कुछ नहीं कर सकता।
Q. 03. हम उस घोड़े की लगाम निकालकर उसके साथ ऐसा करें तो क्या वह ऐसा होने देगा?
Q. 04. क्या यह एक जीव (जानवर) के साथ हिंसा नहीं कहलाएगी?
Q. 05. क्या यह कृत्य किसी लड़की को रस्सियों से बांधकर जबरदस्ती बलात्कार करने के समान नहीं है?

(अब कुछ प्रतिभाशाली या समझदार व्यक्तित्व के धनी ऐसा भी कह सकते है कि यह सब तो वह घोड़े वाला कर रहा है। हमारा इससे क्या लेना-देना? तो मैं आपको बता दु कि यह सब प्रत्यक्ष रूप से तो वह घोड़े वाला कर रहा है, पर परोक्ष रूप से यह हम ही करवा रहे है। कभी विचार करना, समझ में आ जायेगा।)

वर्तमान का सबसे बड़ा सवाल...
कही हम अहिंसा की आड़ में दिन-प्रतिदिन हिंसात्मक गतिविधियों से तो नहीं जुड़ रहे या हिंसात्मक तो नहीं बन रहे? क्योंकि आधुनिकता अच्छी बात है, समय के साथ चलना अच्छी बात है। पर कही इन सबकी आड़ में हम शाश्वत सत्य को नकार तो नहीं रहे? जाने-अनजाने कही अपने ही धर्म की अवहेलना कर अपने हाथों, अपनी ही सभ्यता को नष्ट तो नहीं कर रहे?

अंत में मेरी आप सभी प्रभुद्धजनों से हाथ जोड़कर यही विनती है कि हम इस सभ्य और सुसंस्कृत सभ्यता को विलुप्त होने से बचाने के लिए प्रयत्नशील हो, हम हमारी आने वाली पीढ़ी को ऐसे संस्कारों से सुसज्जित करें कि इस सभ्यता को बढ़ाया जा सके और दुनियां को एक संदेश दिया जा सके और वह संदेश होगा... समता का...! संयम का...!! मोक्ष का...!!!

धन्यवाद! जय जिनेन्द्र...!

(अगर आप इस लेख को पढ़ने के बाद मुझ पर गुस्सा है, तो इसमें आपकी थोड़ी भी गलती नहीं है। क्योंकि आपने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया, तो यह स्वाभाविक ही है और अगर आपको लगता है कि यह एक सटीक सच्चाई है और ऐसे कुकृत्यों का जैन समाज में कोई स्थान नहीं, तो मेरा आपसे निवेदन है कि आप इसे अपने हर समूह और संपर्क नंबर को शेयर करें और इसका लिंक अपने स्टेटस पर जरूर लगाएं। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हो सके। साथ ही आप अपने स्तर पर हर जगह ऐसे कुकृत्यों का विरोध करें। ताकि समाज से इन्हें बाहर का रास्ता दिखाने में मदद मिल सकें।)

(मुझे पता है कि मेरा यह एक छोटा-सा लेख न ही आपकी सोच बदल सकता है, न ही आपकी आँखें खोल सकता है और न ही समाज में कोई बदलाव ला सकता है। क्योंकि जो बदलाव कर सकते है, उन्हें बदलाव करना ही नहीं है और जिन्हें बदलाव करना है, वह बदलाव कर ही नहीं सकते। पर मैं समाजहित और समाजसुधार के लिए मेरी कलम को धार देता रहूंगा, अविरल....!!!)

Friday 26 April 2019

तो क्या इसलिए, चौकीदार चोर है...?👮

डर है कि कही पोतियां न खुल जाएं,
लोगों को राजनीति का गंदा खेल न मिल जाएं,
उनका लक्ष्य है मोदी रोको...
क्योंकि मोदी का लक्ष्य ही है, गद्दारों को ठोको।

तो क्या इसलिए, चौकीदार चोर है...?👮

उसने गरीबी नहीं, गरीबों को मिटाया,
अपने ही देश का धन, विदेशों को लुटाया,
उनका लक्ष्य है देश रोको...
क्योंकि मोदी का लक्ष्य ही है जयचंदो को झोंको।

तो क्या इसलिए, चौकीदार चोर है...?👮

भारतीय सेना को भी तड़पाया,
राफेल लड़ाकू विमान पर बहुत फड़फड़ाया,
उनका लक्ष्य है सेना रोको...
क्योंकि मोदी का लक्ष्य ही है इनके घोंपो।

तो क्या इसलिए, चौकीदार चोर है...?👮

2019 लोकसभा का सितारा है मोदी,
जन जन का प्यारा और दुलारा है मोदी,
हमारा लक्ष्य है पप्पू रोको...
क्योंकि मोदी का लक्ष्य ही है देश बनाना मोटो।

तो क्या इसलिए, चौकीदार चोर है...?👮

Saturday 23 February 2019

ईमानदार पुलिस अधिकारी, राजनीतिक शिकारियों की पहली पसंद.

अभी कुछ ही महीनों पहले देश के पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने बहुत ही शानदार प्रदर्शन कर भारतीय जनता पार्टी को बहुत बड़ी शिकस्त दी है। राजस्थान और मध्यप्रदेश में तो बहुमत के करीब पर छत्तीसगढ़ में बहुमत से भी बहुत ज्यादा सीटों के साथ राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने अपनी सरकार बनाई। यह राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के लिए डूबते को तिनके का सहारा जैसी साबित हुई है, क्योंकि 2013 के बाद से ही ज्यादातर चुनावों में बड़ी शिकस्त ही झेलनी पड़ी और 2014 के लोकसभा चुनावों में तो देश की इस सबसे बड़ी पार्टी के खाते में विपक्ष में बैठने लायक भी सिटें नहीं आई। यह समय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे विकट समय रहा। क्योंकि इसके बाद भी लगातार छोटें-बड़े चुनावों में भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं रहा और लगातार विफलता ही हाथ लगी। पर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव इनके लिए भाग्यशाली साबित हुए और इन तीन राज्यों में सफलता इनकी झोली में रही।

यह हम सभी जानते है कि राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का इतिहास देशद्रोही गतिविधियों से भरा पड़ा है। इनके समय के घोटाले विश्वविख्यात है और यह स्वभाव इन तीन राज्यों में विजय के साथ फिर से उभर कर सामने आने लग गया है। जैसा कि विधानसभा चुनाव के समय किसानों की कर्जमाफी का वादा राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने किया था, जो आज तक भी पूरा नहीं हो पाया है और ऊपर से राजस्थान में यूरिया घोटाला भी हो गया। किसानों के कर्ज माफ तो नहीं हुए, पर उनके हिस्से का यूरिया ही गायब हो गया। जो राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का इतिहास रहा है।

राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के समय में आपराधिक और आतंकी गतिविधियों का भी बहुत बड़ा इतिहास है। 2004 से 2014 तक राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से और देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय में भी देश में कई आतंकी हमले और जगह-जगह बम धमाके हुए, जिनमें सैकड़ो आम नागरिकों की जानें गयी और कई घायल हुए। राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का आपराधिक तत्वों से प्रेम बहुत पुराना है। जो समय-समय पर सबके सामने छलकता रहा है और इसके चलते इनके शासन में आज तक कई ऐसे फैसले भी हुए है, जो आश्चर्यजनक से ज्यादा असमंजस की स्थिति पैदा करने वाले है। इसी का एक उदाहरण अभी-अभी राजस्थान के उदयपुर जिले के भूपालपुरा थाने में देखने को मिला।

सबकुछ सही चल रहा था कि अचानक भूपालपुरा थाने में एक पत्र आया, जो शायद ऊपर से होता हुआ भूपालपुरा थाने में पहुँचा। जब उस पत्र को खोलकर पढ़ा गया तो एकाएक किसी को इस पत्र पर यकीन ही नहीं हुआ। क्योंकि यह कोई साधारण पत्र नहीं था, बल्कि यह पत्र था भूपालपुरा थानाधिकारी हरेंद्र सिंह सौदा के नाम, जिनको आई जी ने यहां से पदोन्नत कर अपने कार्यलय में लगा दिया और आश्चर्य की बात तो यह है कि इसकी जानकारी उदयपुर पुलिस अधीक्षक कैलाश चंद्र बिश्नोई को भी नहीं थी। हरेंद्र सिंह सौदा, वर्तमान पुलिस अधीक्षक कैलाश चंद्र बिश्नोई, पूर्व उदयपुर पुलिस अधीक्षक कुंवर राजदीप और राजेंद्र प्रसाद गोयल के विश्वासपात्र पुलिस अधिकारीयों में से एक है।

अब आपके मन में एक सवाल जरूर आ रहा होगा कि इसमें नया क्या है? और दूसरी बात इसमें तो खुशी की बात ही है कि किसी थानाधिकारी की पदोन्नति हुई है। तो इसमें इतना आश्चर्य करने वाली कौनसी बात है?

पर यहां आपको यह जान लेना भी जरूरी है कि भूपालपुरा थानाधिकारी हरेंद्र सिंह सौदा कोई साधारण थानाधिकारी नहीं थे। उनकी छवि अपराधियों के लिए काल के समान और आम नागरिकों के लिए फ़रिश्तें के समान है। वे ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा की साक्षात मूरत है। अपराधी चाहे कितना भी ताकतवर या बड़ा क्यों न हो? अगर उसका मुकदमा हरेंद्र सिंह सौदा के पास आ गया, तो समझों उसको फिर भगवान भी नहीं बचा सकता। उन्होंने कई ऐसे खूंखार अपराधियों को पकड़ा है, जिनकी गिरफ्तारी के बारे में सोचकर ही पुलिस के पसीने छूटने लगते थे। उनकी नजर में अपराधी, अपराधी ही था, फिर भले ही वह किसी राजनेता या बड़े घर का बेटा ही क्यों न हो? उदयपुर के कुख्यात अपराधी मोहम्मद आजम, इमरान कुंजड़ा जैसे खतरनाक अपराधियों को पकड़ने और उनसे कई महत्वपूर्ण खुलासे करने में भी हरेंद्र सिंह सौदा की अहम भूमिका रही। उनके कार्यकाल में उदयपुर का माहौल बेहद शांत और सुरक्षित था।

वे जब सुखेर थाने में कार्यरत थे, तब उन्होंने कांग्रेस जिला देहात अध्यक्ष लालसिंह झाला के बेटे अभिमन्यु सिंह झाला को भी आपराधिक गतिविधि में शामिल होने के लिए गिरफ्तार कर उसके ऊपर मुकदमा चला दिया था। शायद आज उनकी इस तरह पदोन्नति उसी का परिणाम है, जो उन्होंने लाल सिंह झाला के बेटे अभिमन्यु सिंह झाला के साथ किया। क्योंकि जब यह हुआ था, तब वसुंधरा सरकार थी, पर जैसे ही वसुंधरा सरकार गयी और गहलोत सरकार आयी, लालसिंह झाला ने अपनी ताकत का इस्तेमाल कर यह पदोन्नति करवा दी। जबकि ऐसी बातों से लाल सिंह झाला ने साफ इंकार किया है। लोगों की माने तो यह पदोन्नति राजनीतिक दबाव का ही परिणाम है। जिसकी अभी तक आधिकारिक पुष्टि तो नहीं हो पाई है।

फिलहाल हरेंद्र सिंह सौदा को तत्काल भूपालपुरा थानाधिकारी के पद से मुक्त कर आई जी कार्यलय में लगा दिया गया है। जिसका आम जनता ने विरोध भी दर्ज करवाया है। अब आगे क्या होगा....??? यह समय ही बता पायेगा...!

जय हिंद..!!

Saturday 16 February 2019

एक दिया, वीरों के नाम (शहीद-सभा) सम्पन्न.


उदयपुर (
न्यूज़: प्रवीण सी. सिंघवी):
भगवा फ़ोर्स और करणी सेना के तत्वावधान में श्रीराम सेना आदि सभी संगठनों ने मिलकर उदयपुर के शहीद भगत सिंह चौराहा, सेवाश्रम पर शहीद भगत सिंह को माल्यार्पण कर नमन किया और पुलवामा में आतंकियों द्वारा किये गए बम ब्लास्ट में शहीद हुए शहीदों को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का पुतला जलाकर नारेबाजी के साथ विरोध प्रदर्शन कर, दो मिनिट का मौन रखकर वीर शहीदों की आत्मशांति के लिए प्रार्थना कर श्रद्धांजली दी गयी।

आम जनता के मन में जो आक्रोश व्याप्त है, उसे भलीभांति आम जनता ने भी नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन में योगदान देकर व्यक्त किया। सबकी अब बस एक ही मांग है कि पाकिस्तान और आतंकियों की इस नापाक हरकत का ऐसा मुहतोड़ जवाब दिया जाए, कि एक नया इतिहास रच जाएं।

भगवा फ़ोर्स उदयपुर के संभाग अध्यक्ष नरपतसिंह चारण, जिला प्रभारी ईश्वर सिंह सौलंकी, जिला सदस्य प्रवीण सी. सिंघवी, यशवंत सेन, जुगलकिशोर सेन, श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना उदयपुर के जिलाध्यक्ष दिग्विजयसिंह बाठेड़ा, श्रीराम सेना के संस्थापक उमेश नागदा, चारण छात्रावास, विभिन्न संगठनों, विद्यालयों और आम जनता ने जोश से भरे गुस्से के साथ इस कार्यक्रम में भाग लेकर एकता का परिचय दिया और आतंकवाद का पुरजोर विरोध किया।

Tuesday 12 February 2019

हमें बहुत याद आते है आप...!😔

आपका वो सादगी भरा जीवन,
आपका वो युवाओं के साथ युवा चिंतन,
आपका वो धीरे से पर सटीक मनन,
आपका वो लाड़-दुलारकर झप्पी भरा चुम्बन।

हमें बहुत याद आते है आप...!😔

आपका वो सभी से बतियाना,
आपका वो अंदाज शायराना,
आपका वो कभी न इतराना,
आपका वो सामाजिक झंडे लहराना।

हमें बहुत याद आते है आप...!😔
🙏😔😞😢

आपको गए 3 साल हो गए, पर आज भी आप महसूस होते है कही हमारे बीच...!!!!😔🙏
बड़े पापा...! आपकी तीसरी पुण्यतिथि पर आपको नमन...🙏😔💐

Saturday 5 January 2019

जैन श्रीसंघ, कड़ियाँ का नव्वा स्नेह-सम्मेलन सम्पन्न.

मुम्बई: (05 जनवरी, 2019)
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, कड़ियाँ और श्री जैन नवयुवक मंडल, कड़ियाँ द्वारा आयोजित कड़ियाँ जैन श्रीसंघ का नव्वा स्नेह-सम्मेलन माण्डवी रिसोर्ट, विरार में सम्पन्न हुआ।

सुबह के नाश्ते के बाद सभी युवाओं और बच्चों ने रिसोर्ट में पानी की विभिन्न स्लाइडों का भरपूर आनंद लिया। इसमें बड़े और महिलाएं भी शामिल थी।

दोपहर के खाने के बाद श्रीसंघ, कड़ियाँ द्वारा स्वागत समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में महिला मंडल द्वारा मंगल गीत की प्रस्तुति दी गयी। मंगलाचरण के पश्चात नवयुवक मंडल द्वारा श्रीसंघ, कड़ियाँ के वरिष्ठ श्रावकों और मुख्य पदाधिकारियों का स्वागत किया गया।

स्वागत समारोह के पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत मेहता परिवार की बहुओं द्वारा सास-बहू पर एक व्यंग्यात्मक नाटिका की प्रस्तुति दी गयी, उसके बाद प्रियांशी मादरेचा और त्रिशा मादरेचा द्वारा बहुत ही शानदार नृत्य की प्रस्तुति दी गयी। श्रीसंघ, कड़ियाँ के संरक्षक अम्बालाल मेहता और महामन्त्री शांतिलाल मेहता द्वारा आशीर्वचन स्वरूप प्रशंसनीय विचार प्रस्तुत किए गए। मेहता परिवार के छोटे बच्चों, चाहत सिंघवी और प्रीत सिंघवी द्वारा भी बहुत ही शानदार नृत्य प्रस्तुत किया गया। नवयुवक मंडल से भाविक मादरेचा और अनुराग मादरेचा द्वारा भी बहुत शानदार नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसके बाद नवयुवक मंडल से मुकेश मेहता द्वारा सामाजिक चेतना पर बहुत ही अच्छा वक्तव्य प्रस्तुत किया गया और उनके योगदान से युवा-परिचय का एक छोटा-सा कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। इसके बाद हर वर्ष के स्नेह-सम्मेलन के लिए एक योजना का निर्माण किया गया और मंच से उसकी घोषणा की गई। सफल मंच संचालन प्रकाश मादरेचा द्वारा किया गया।

मुकेश बी. सिंघवी, नरेश आर. सिंघवी, प्रवीण मादरेचा, महावीर मादरेचा, प्रिंस मादरेचा, नीलेश मादरेचा, कपिल मादरेचा, चिराग मादरेचा, पंकज मेहता, अंकित मेहता, मनीष मेहता, विमल मेहता, केतन मेहता, हिम्मत मादरेचा आदि का सराहनीय योगदान रहा।

वरिष्ठ श्रावक नानालाल सिंघवी, पन्नालाल सिंघवी एवं पदाधिकारीगण अम्बालाल मेहता, केशुलाल मेहता, भगवतीलाल मादरेचा, गणेशलाल मादरेचा, शांतिलाल मेहता, उदयलाल मादरेचा, कन्हैयालाल मेहता, अम्बालाल सिंघवी, मुकेश कुमार सिंघवी, प्रकाश मादरेचा आदि की सराहनीय मंचासीन उपस्थिति रही। इनका स्वागत नवयुवक मंडल, कड़ियाँ द्वारा किया गया। यह जानकारी श्रीसंघ, कड़ियाँ के मीडिया प्रभारी प्रवीण सी. सिंघवी द्वारा दी गयी।