Saturday 30 January 2021

उस मासूम की क्या गलती थी?

लड़की: बाबु, यह क्या कर रहे हो?
लड़का: शादी के बाद जो पति करता है, अपनी पत्नी के साथ, वही।
लड़की: तो अभी क्यों?
लड़का: तो मैं क्या गलत कर रहा हूँ? जो शादी के बाद करते है, वह मैं पहले कर रहा हूँ। मैं तुम्हारा पति हूँ, मेरा हक़ है, शादी से पहले।
लड़की: यह अच्छी बात नहीं...! पर शादी तो नहीं हुई ना....?
लड़का: तू सोच रही है ना कि, मैं टाइम-पास कर रहा हूँ। मैं तुझे अपनी पत्नी समझता हूँ। तुम तो.....! Ok, आज के बाद तुझे टच भी नहीं करूँगा।
लड़की: बाबु Sorry...! मैं तुम्हारी हूँ। मुझ पर सिर्फ तुम्हारा ही अधिकार है। जो चाहो, वो कर सकते हो। Sorry.....!!!
लड़का: Thank You My Sweet Wife...!!!

(02 महीने के बाद...)
लड़की: बाबु! मैं प्रेग्नेन्ट हूँ?
लड़का: क्या.......!???
लड़की: Pls मुझसे शादी कर लो न...।
लड़का: पागल हो गयी हो क्या...? अभी नहीं कर सकता शादी। मैं जोब भी नहीं करता। एक काम करो, हॉस्पिटल जाके Abortion करवा लेते है।
लड़की: नहीं...! एक मां अपनी ही बच्ची को नहीं मार सकती...!
लड़का: ठीक है, यह डिसाइड कर लो कि, तुम्हें यह किसी और का बच्चा चाहिए या मैं.......!!!
लड़की: क्या...!?? किसी और का बच्चा...!?? वा...!! बहुत अच्छा, यही सुनना बाकी रह गया था।
लड़का: और नहीं तो क्या...? जो लड़की शादी से पहले ही मेरे साथ रिलेशन्स रख सकती है, तो क्या गारंटी है कि, किसी और के साथ नहीं कर सकती हो? किसी और का बच्चा नहीं हो सकता, इस बात की क्या गारंटी है?
लड़की: छि:....!!! कुछ तो शर्म करो। भगवान सब देख रहे है। माफ़ नहीं करेंगे तुम्हें।
लड़का: सुनो...!! आज़ से अपनी शक्ल मुझे मत दिखना। किसी और के बच्चे को मेरा नाम दे रही हो। छि:...! कितनी घटिया है तू...!!?
लड़की (जोर-जोर से रोने लगती है।): ठीक है...! बहुत पछतायेगा तू...! (रोते हुए....)

(लड़की बहुत रोने लगती है और माता-पिता ने उसको घर से निकाल दिया। वो अकेली इधर-उधर घूमती रही, पर किसी ने उसकी मदद नहीं की। एक दीन एक कार से उसका जबरदस्त एक्सीडेंट हो गया और उसकी दर्दनाक मौत हो गयी।)

पर सवाल यह है कि, उस बच्ची की क्या गलती थी? जिसकी दुनिया में आने से पहले ही आंखें सदा-सदा के लिए बन्द हो गयी? गलती दो प्यार करने वाले करते है। पर सजा किसी और को मिलती है।

मेरा आप सभी लड़कों से निवेदन है कि, यह जो लड़कियां होती है ना, इन्हें अपनी इज्जत अपनी जान से भी ज़्यादा प्यारी होती हैं। यह हम लड़कों पर इसलिए भरोसा नहीं करती है कि, हम बहुत स्मार्ट है। बल्कि इसलिए करती हैं, क्योंकि वे समझती है कि, हम भी उनसे सच्चा प्यार करते है। उनको क्या पता कि, कुछ लड़के सिर्फ और सिर्फ लड़कियों को इस्तेमाल करने के लिए ही प्यार करते हैं। मर्द की मर्दानगी औरत की इज्जत लुटने से नहीं साबित होती है। बल्कि उनकी इज्जत करने से साबित होती है।

(इस महत्त्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक रचना के लिए मैं Prashant Yadav Ji को दिल से धन्यवाद देता हूँ। क्योंकि उन्होंने ही यह रचना फेसबुक के Sachi Baatein नामक पेज के द्वारा शेयर की। जिसका लिंक नीचे दिया गया है।)

लिंक...
https://www.facebook.com/groups/sachibaatein/permalink/886876232143680/

Thursday 28 January 2021

भारतीय काल-गणना की श्रेष्ठता.

गणित में कोई भी संख्या... 01 से 10 तक के सभी अंकों से नहीं कट सकती, लेकिन इस विचित्र संख्या को देखियेगा...!

संख्या 2520, अन्य संख्याओं की तरह वास्तव में एक सामान्य संख्या नहीं है। यह वो संख्या है, जिसने विश्व के गणितज्ञों को अभी भी आश्चर्य में डाला हुआ है। यह विचित्र संख्या 1 से 10 तक प्रत्येक अंक से भाज्य है, फिर चाहे वह अंक सम हो या विषम।

ऐसी संख्या, जिसे इकाई तक के किसी भी अंक से भाग देने के उपरांत शेष शून्य रहे, बहुत ही असम्भव/दुर्लभ है। ऐसा प्रतीत होता है।

अब निम्न सत्य को देखें:

2520 ÷ 01 = 2520.
2520 ÷ 02 = 1260.
2520 ÷ 03 = 0840.
2520 ÷ 04 = 0630.
2520 ÷ 05 = 0504.
2520 ÷ 06 = 0420.
2520 ÷ 07 = 0360.
2520 ÷ 08 = 0315.
2520 ÷ 09 = 0280.
2520 ÷ 10 = 0252.

महान गणितज्ञ अभी भी आश्चर्यचकित है। 2520 वास्तव में एक गुणनफल है, 07x30x12 का।

उन्हें और भी आश्चर्य हुआ, जब प्रमुख गणितज्ञ द्वारा यह संज्ञान में लाया गया कि, संख्या 2520 हिन्दू संवत्सर के अनुसार एकमात्र यही संख्या है, जो वास्तव में उचित बैठ रही है। जो इस गुणनफल से प्राप्त है...
सप्ताह के दिन (7) x माह के दिन (30) x वर्ष के माह (12) = 2520.

यह है... भारतीय काल-गणना की श्रेष्ठता।

(यह जानकारी भारत के जाने-माने फ़िल्म अभिनेता, बादशाह अमिताभ बच्चन जी के फसबूज पेज से ली गयी है, जिसका लिंक नीचे दिया गया है। इस अतिमहत्त्वपूर्ण और गौरवान्वित कर देने वाली जानकारी के लिए बच्चन सर को तहे दिल से धन्यवाद...!)

पोस्ट का लिंक:
https://www.facebook.com/449082841792177/posts/4092558307444594/

Monday 18 January 2021

नन्ही धृति द्वारा दुनिया को धर्म-संदेश

सोमवार 08 जुलाई, 2019.

हमारे घर एक नन्हीं परी का जन्म हुआ। उस समय कटिहार (बिहार) में साध्वी श्री पीयूष प्रभा जी का चतुर्मास था। उन्होंने हमारी बच्ची को एक प्यारा सा नाम दिया धृति। धृति का अर्थ है, धैर्य और हमारी छोटी-सी बच्ची ने जीवन के अंतिम समय तक धैर्य और समता का परिचय दिया।

खुशिया अपरंपार थी, घर में उसकी किलकारियाँ चारों तरफ़ गूँज रही थी। नन्हें कदमों ने अब अपने पंखों की उड़ान भरनी शुरू की। अपने जन्मदिन के दिन उसके नन्हें क़दम चले, पर विधाता को कुछ और ही मंज़ूर था। अचानक एक दिन उसके चेस्ट से घरघराहट की आवाज़ सुनाई दी। हमने पीडियाट्रिक डॉक्टर से कंसल्ट किया।उन्होंने चेस्ट में इंफेक्शन की बात कही और कहा, "घबराने की कोई बात नहीं है। 5-7 दिन में ठीक हो जाएगी।"

हमने उसे डॉक्टर के कहे अनुसार अस्पताल में भर्ती कर दिया। इसी बीच अस्पताल में उसकी उल्टियां शुरू हो गई थी। डॉक्टर ने उल्टी बंद करने के लिए कुछ दवाइयां दी, लेकिन वो काम न कर सकी। डॉक्टर ने हमसे कहा, "इसकी उल्टी बंद नहीं हो रही है। इसको कहीं बाहर ले जाइए।"

हमें लगा, क़िसी दवा के रिएक्शन से उसकी उल्टी शुरू हुई होगी। हमने आनन-फानन में बैंगलोर जाने का फ़ैसला लिया। इस कोरोना काल में भी हम अपनी बच्ची को लेकर बैंगलोर पहुँचे। पर हमें क्या पता था कि, यह उड़ान उसके जीवन क़ो ही हम से उड़ा ले जाएँगी। सात दिन तक नॉर्मल चेकअप और टेस्टिंग चली और डॉक्टर को भी उसकी वोमिटिंग का कारण समझ नहीं आया। फिर जाकर डॉक्टर ने MRI टेस्टिंग करवाया। MRI टेस्टिंग से पता चला, मेरी छोटी-सी नन्ही बच्ची एक बहुत ही बड़ी प्रॉब्लम से जूझ रही है। उल्टी का कारण ब्रेन ट्यूमर था। हमने डॉक्टर की सलाह अनुसार ऑपरेशन करवाने का कठिन निर्णय लिया। 10 दिन के बाद बायोप्सी की रिपोर्ट में पता चला कि, उसे 4th Grade (चौथे स्तर) का कैंसर वाला ट्यूमर है। इसे सुनते ही हमारी पैरों की ज़मीन खिसक गई और इस ख़बर ने हमारे पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया। पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजिस्ट ने कीमो लगवाने की सलाह दी। हमने डॉक्टर से समय माँगा और उसे लेकर कटिहार आ गए। हमने इस भयावह बीमारी की जानकारी ली, जिससे पता चला कि, केमो से भी इसकी रिकवरी नहीं हो सकती है। फिर हमने अपने परिवार वालों से सलाह लेकर कीमो नहीं लगाने का फैसला लिया।

अब हम यह जान चुके थे कि, वह हमारे पास कुछ ही दिनों की मेहमान है। इसलिए हमने यह फैसला लिया कि, उसने इस जीवन में जो भी दुःख देखें, वह उसे अगले जन्म में ना देखना पड़े। इसके लिए हमने हमारे घर में धर्ममय वातावरण बनाने का फैसला लिया। घर में जाप का क्रम शुरू हुआ। हमने धृति को दिन भर धर्म की बातें सुनानी शुरू की। हमने जैन धर्म और सनातन धर्म के अनुसार जितना त्याग और दान हो सकता था, करवाया। प्रतिदिन उसे ढाल, चौबीसी, प्रतिक्रमण, भक्तामर, जाप आदि सुनाने में हमारे पूरे परिवार ने ही नहीं, अपितु कटिहार के सभी समाज ने सहयोग प्रदान किया।

मैंने अपनी अंतरत्मा से यह संकल्प लिया कि, ज़ब तक वो है। मैं अपनी बच्ची के लिए बिलकुल भी आँसू नहीं बहाऊँगी। उसकी गति सुधारने में उसकी एक लकीर बनुंगी। मैं अपनी पूरी दुनिया भूल चुकी थी। मेरा सिर्फ़ एक ही काम था, धृति को धर्म श्रवण करवाना। साधु-साध्वी एवं समणी वृंद द्वारा प्रदत्त मंत्र जाप को भी हमने धृति क़ो प्रतिदिन सुनाया।

उसकी तड़प प्रतिदिन बढ़ रही थी। खाने के प्रति उसका मोह छूट-सा गया था। उसकी शक्ति क्षीण होने लगी। 10 जनवरी, 2021 की सुबह 10:00 बजे अचानक मैंने उसे छटपटाते हुए देखा। किंतु इस दिन की छटपटाहट बहूत अलग थी। अब मैं यह समझ गई थी कि, धृति की जीवन की डोर अब भगवान अपने हाथ में लेने वाले हैं। ऑक्सीजन बिलकुल गिर चुका था, धड़कन की रफ़्तार बढ़ रही थी। हमने उसे मंगल पाठ सुनाना शुरू किया। आँखों में आँसू थे, पर हिम्मत पूरी थी। आँसू नहीं गिराना है और त्याग पचक्ख़ान करवाना है। स्थिति को बिगड़ता देख हमने उसे आजीवन त्याग करवाया। धर्ममय वातावरण में धृति ने धीरे-धीरे अपनी अंतिम साँस ली। अंतिम साँस तक भी उसके चेहरे पर धैर्य का आभास झलक रहा था। उसकी ड़ोर हम से टूट गई और हमारे नम आँखो से फूट-फूट कर आंसू निकलने लगे।

यह बातें मैंने आपसे दुःख बांटने के लिए नहीं लिखी है, बल्कि यह बताने के लिए लिखी है कि, शायद दुनिया में ऐसी बीमारियों से ग्रसित बहुत सारे बच्चे होंगे। उनके सामने आंसू ना बहाकर घर में धर्ममय वातावरण बनाएं। उनकी सेवा करे और उनके आगे की गती सुधारने में उनके सहायक बने।

इस धार्मिक आलेख (मर्मस्पर्शी) के रचयिता:
संगीता-बिनोद पटावरी. निशा-विवेक पटावरी.

(इस पोस्ट का फेसबुक लिंक: https://www.facebook.com/groups/terapanthjain/permalink/1808815732609563/)

(इस मर्मस्पर्शी आलेख के लिए मैं सबसे पहले नन्ही धृति की पूजनीय माता जी और पूरे पटवारी परिवार को हृदय की गहराइयों से नमन करते हुए साधुवाद करता हूँ और साथ ही इस पोस्ट को फेसबुक के "जैनम जयति शासनम्" नामक पेज द्वारा जन-जन तक पहुंचाने के लिए मैं "Jain Folamutha Pradeep Ji" को धन्यवाद प्रेषित करता हूँ।)