Wednesday 28 October 2015

किसमिस के कुछ स्वास्थ्य लाभ (घरेलु नुस्ख़े)...

1. कब्‍ज - जब किशमिश को खाई जाती है तो यह पेट में जा कर पानी को सोख लेती हैं। जिस वजह से यह फूल जाती है और कब्‍ज में राहत दिलाती है।

2. वजन बढाए- हर मेवे की तरह किशमिश भी वजन बढाने में मददगार साबित होती है क्‍योंकि इसमें फ्रकटोज़ और ग्‍लूकोज़ पाया जाता है जिससे एनर्जी मिलती है। अगर आपको भी अपना वजन बढाना है और वो भी कोलेस्‍ट्रॉल बढाए बिना तो आज से ही किशमिश खाना शुरु कर दें।

3. अम्लरक्तता- जब खून में एसिड बढ जाता है तो यह परेशानी पैदा हो जाती है। इसकी वजह से स्‍किन डिज़ीज, फोडे़, गठिया, गाउट, गुर्दे की पथरी, बाल झड़ने, हृदय रोग, ट्यूमर और यहां तक कि कैंसर होने की संभावना पैदा हो जाती है। किशमिश में अच्‍छी मात्रा में पोटैशियम और मैगनीशियम पाया जाता है जिसको खाने से अम्लरक्तता की परेशानी दूर हो जाती है।

4. एनीमिया- किशमिश में भारी मात्रा में आयरन होता है जो कि सीधे एनीमिया से लड़ने की शक्‍ति रखता है। खून को बनाने के लिये विटामिन बी कॉमप्‍लेक्‍स की जरुरत को भी यही किशमिश पूरी करती है। कॉपर भी खून में लाल रक्‍त कोशिका को बनाने का काम करता है।

5. बुखार- किशमिश में मौजूद फिनॉलिक पायथोन्‍यूट्रियंट जो कि जर्मीसाइडल, एंटी बॉयटिक और एंटी ऑक्‍सीडेंट तत्‍वों की वजह से जाने जाते हैं, बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन तथा वाइरल से लड़ कर बुखार को जल्‍द ठीक कर देते हैं।

6. शराब के नशे से छुटकारा- शराब पीने की इच्छा हो तब शराब की जगह 10 से 12 ग्राम किशमिश चबा-चबाकर खाते रहें या किशमिश का शरबत पियें। शराब पीने से ज्ञानतंतु सुस्त हो जाते हैं परंतु किशमिश के सेवन से शीघ्र ही पोषण मिलने से मनुष्य उत्साह, शक्ति और प्रसन्नता का अनुभव करने लगता है। यह प्रयोग प्रयत्नपूर्वक करते रहने से कुछ ही दिनों में शराब छूट जायेगी।

7. यौन दुर्बलता- इस समस्‍या के लिये रोजाना किशमिश खाएं क्‍योंकि यह कामेच्छा को प्रोत्साहित करती है। इसमें मौजूद अमीनो एसिड, यौन दुर्बलता को दूर करता है। इसीलिये तो शादी-शुदा जोडों को पहली रात दूध का गिलास दिया जाता है जिसमें किशमिश और केसर होता है।

8. हड्डी की मजबूती- किशमिश में बोरोन नामक माइक्रो न्‍यूट्रियंट पाया जाता है जो कि हड्डी को कैल्‍शियम सोखने में मदद करता है। बोरोन की वजह से ऑस्‍टियोप्रोसिस से बडी़ राहत मिलती है साथ ही किशमिश खाने से घुटनों की भी समस्‍या नहीं पैदा होती।

9. आंखों के लिये- इसमें एंटी ऑक्‍सीडेंट प्रोपर्टी पाई जाती है, जो कि आंखों की फ्री रैडिकल्‍स से लड़ने में मदद करता है। किशमिश खाने से कैटरैक, उम्र बढने की वजह से आंखों की कमजोरी, मसल्‍स डैमेज आदि नहीं होता। इसमें विटामिन ए, ए-बीटा कैरोटीन और ए-कैरोटीनॉइड आदि होता है, जो कि आंखों के लिये अच्‍छा होता है।

Sunday 25 October 2015

राशियों के अनुसार महिलाओ के लक्षण...

मेष:
     इस राशि की महिलाए परिश्रमी, सामाजिक, निडर, साहसी एव रजोगुणी होंगी। अहंकारी एव क्रोधी स्वभाव की होंगी। रंग गेहुआ होगा। वात, पित्त, कफ से पीड़ित होंगी। पुरुषो से कम स्नेह करने वाली होंगी। विदेश यात्रा की सम्भावना होगी। पचास वर्ष की उम्र में भाग्योदय होगा।

वृषभ:
     इस राशि की महिलाए सुन्दर एव अच्छे रंग की होंगी। पति अच्छा मिलेगा, परन्तु परस्पर प्रेम कम होगा। धनवान होंगी। खर्च करने की आदत अधिक होगी। सांसारिक कार्यो में कुशल होगी। सभी धर्मो में आस्था होंगी। स्त्रिओ से बैर भाव रहेगा। 35 की उम्र के बाद दुःख की सम्भावना।

मिथुन:
     इस राशि की महिलाए गरम स्वभाव की होंगी। अपने कार्य में विशेष आस्था रखेंगी। रंग गेहुआ और चेहरा गोल होंगा। शिल्पप्रेमी, चतुर, कवि तथा परोपकारी होंगी। सुन्दर केश होंगे। प्रकृति वायु एव पित्त प्रदान होंगी। 32 से 35 वर्ष के बीच में भाग्योदय होगा।

कर्क:
     इस राशि की महिलाओ का रंग गोरा होगा। यह पित्त प्रकृति की होंगी। उदार, विनम्र, लज्जा, विवेक गुणयुक्त होंगी। जन्म स्थान से दूर रहने वाली होंगी। खाने की शौक़ीन होंगी। परिवार से कम स्नेह होगा। शत्रुओ पर विजय आसानी से प्राप्त कर लेंगी।

सिंह:
     इस राशि की महिलाए अत्यंत पराक्रमी, अहंकारी, तीक्ष्ण बुद्धिवान, क्रोधी, शक्ति सम्पन्न, मांसाहारी तथा पाण्डु वर्ण की होंगी। देश-विदेश में भ्रमण की शौक़ीन होंगी। पति से अनबन रहेगी, स्वयं द्वारा धन उपार्जन करेगी। रजोगुणी प्रकृति होगी।

कन्या:
     इस राशि की महिलाए प्रियवचन बोलने वाली, पुष्ट शरीर और गौर वर्ण की होंगी। स्वच्छता पसंद होंगी। अपनी वेशभूषा के प्रति अधिक सजग रहना चाहेगी। सौभाग्य लेकर आएगी। कभी कभी भयभीत भी रहेगी। धर्म में रूचि होंगी। संतान में कन्या अधिक होने की सम्भावना है। हर कार्य को कुशलता से करेगी।

तुला:
     इस राशि की महिलाएं अतिशय चंचल प्रकृति की होंगी। माँ-बाप एव गुरुजन की अनन्य भक्त होंगी। व्यवसाय निपुण, कफ़ प्रकृति वाली, गोर वर्ण, छोटी गर्दन होंगी। मित्र कम, शत्रु अधिक होंगे। पर-पुरुष की ओर आकर्षित हो सकती है। यात्रा करने में आनंद आएगा। 2रा व 8वा वर्ष अस्वस्थता का रहा होगा तथा 30 वर्ष के बाद भाग्योदय की सम्भावना है।

वृश्चिक:
     इस राशि की महिला लंबे मुख एव गौर वर्ण की होंगी। धर्म को आडम्बर मानना एव स्वाभाव में कुटिलता हो सकती हैं। पति को विशेष महत्त्व नही देगी। हठी और स्पष्टवादी होंगी। परन्तु दूसरे पक्ष में यह अत्यंत विचारवान, विदुषी, शास्त्रज्ञ एव शत्रुनाशक होंगी। 20 से 24 वर्ष के बीच में भाग्योदय।

धनु:
     इस राशि की महिलाए कंचन वर्ण की, स्थूल होठ और नाक वाली पुष्ट शरिर की होंगी। कार्य करने में कुशल होंगी। पति विरोधी होंगी। ज्ञानवती, अनेक कलाओ की ज्ञाता होंगी। काव्य, लेखन या अन्य व्यवसाय में रूचि होंगी। 22-23 वे वर्ष में धन लाभ।

मकर:
     इस राशि की महिला लंबे कद की, दीर्घ मुखी, छोटी नाक वाली, पिंगल वर्ण की होती हैं। नेत्र हिरणी के समान होते है। वात प्रकृति होंगी। कंजूस होंगी। 32 वर्ष के बाद अंत तक सुख ही सुख भोगेंगी।

कुम्भ:
     इस राशि की महिला तेजस्वी शरिर की सुन्दर नासिका की, चंचला, बच्चों से प्रेम करने वाली होंगी। स्त्रियों के साथ भी वह अधिक प्रसन्न रहेंगी। इनमे अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष जैसे दुर्गुण भी पाए जाते है। शत्रुता भी रहेंगी। 25 की उम्र में भाग्योदय की संभावना।

मीन:
     इस राशि की महिला मीनाक्षी, स्थूल नासिका की, पिंगल वर्ण की विनम्र, जलक्रीड़ा करने में कुशल होती है। रत्नाभूषणो को धारण करने वाली, विदुषी, अनेक रचनाओ में प्रवृत्त, भोज्य पदार्थ बनाने में कुशल, दयावती व व्यव्हार कुशल होंगी। धर्म में आस्था होंगी। वृद्धावस्था का जीवन सुखद बीतेगा।

यह प्रार्थना कर आजीवन सुखी रहिये।

      हे प्रभु! मैंने तुझे नही देखा, फिर भी मेरा विश्वास हैं कि तू कही ना कही जरूर हैं। क्योकि मेरी सांस चल रही हैं। पक्षी उड़ रहे हैं। जानवर चर रहे हैं। हवाएं चल रही हैं। चाँद अपने समय पर आ रहा हैं। ये सब तेरे होने के ही सबूत हैं। तूने इंसानो से इंसानो को प्यार करना सिखाया। तूने अपने से बड़ो का आदर करना सिखलाया। तूने ही हर तरह की खुशियां दी। मैं हर तरह तेरा एहसानमंद हु। तूने इंसान को बनाया। उसमे भावनाओ से भरा उसे दिल दिया। उसे दिमाग दिया। यह एक चमत्कार है तेरा लेकिन आज का इंसान तेरी याद को, तेरे एहसान को भूलकर गुमराह हो रहा है। तू उसे माफ़ कर और सही रास्ता दिखा। तू ममता का सागर हैं तुझसे बड़ा कोई नही हैं। मरने के बाद मुझे और मेरी आत्मा को तेरी शरण में ही आना हैं।
      मैं तुझसे प्रार्थना करता हु कि तू हमारे देश के काम आने वाले लोगो को अच्छी सेहत दे। हमारे देश में रहने वालो को परेशानियो से मुक्त कर उन्हें बुरे कर्मो से बचा। अच्छी तरह राह दिखा। मानव समाज के लोग अन्धविश्वास में जी रहे है उनकी आँखे खोल।
      हे प्रभु! मेरे माँ-बाप का साया सदा मेरे सिर पर रख। मैं जहा से रोजी-रोटी कमाता हूं वहां खुशहाली के भंडार भर दे। मेरे इमान को इतना मजबूत बना कि मैं कभी ऐसा काम न करुं, जो तुझे पसंद न हो।
      मुझे सदैव सत्य की राह पर चलने की हिम्मत दे। अपने कर्त्तव्य से मैं कभी मुंह न मोडू ऐसी शक्ति दे।
      बाढ़, अकाल, आग और बिजली की चमक से मेरे देश को बचाए रख। तूने मुझे जैसा भी जीवन दिया है वो मुझ पर तेरा एहसान हैं। मैं उसे काबुल करता हूं और तेरे आगे सिर झुकाता हूं। तेरे आशीर्वाद से ही मेरी यह ज़िन्दगी कट रही हैं।

Saturday 24 October 2015

भगवान महावीर जैन नही थे।

      क्योकि उनकी वाणी में हमारी जिव्हा की तरह कटु बैन नही थे। उनके ह्रदय में श्वेताम्बर-दिगंबर का झगड़ा ना था। उनके अंतस् में बीस और तेरह का रगडा न था। वे नियम थोपते नही थे। वे हिंसा रोपते नही थे। वे नित नए धर्म गढ़ते नही थे। वे लकीर के फ़क़ीर बनकर लड़ते नही थे। वे हमारी तरह ढोंगी नही थे। वे दिन के जोगी, रात के भोगी नही थे। वे तो आडम्बरो के बिन थे।

सचमुच......
        मेरे भगवान महावीर आज के जैनियो जेसे जैन नही थे।
जय जिनेन्द्र। जय महावीर। जैनम् जयति शासनम्।

Wednesday 23 September 2015

मुझे हिन्दी और अंग्रेजी मे एक फ़र्क एक अध्यापक ने बताया था । तब से मुझे अंग्रेजी की जगह हिन्दी ही अच्छी लगती है और ये हमारी मातृभाषा भी है।
अध्यापक के शब्द इस प्रकार थे...
अ- से - अनार.........ज्ञ- से - ज्ञानी
a- से - apple.........z- से - zebra
यानी शुरुआत दोनो भाषा मे एक फल से होती है और अंत मे हिन्दी आपको ज्ञानी बनाकर छोड़ती है, और अंग्रेजी एक प्रकार का गधा बनाकर.....
अब आप खुद ही निर्णय कीजिए आपको हिन्दी से प्रेम होना चाहिए या अंग्रेजी से.....