Sunday 26 August 2018

भारतीय संस्कृति की स्थिति.

आज पूरे देश में बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ भाई-बहन के पवित्र प्यार को दर्शाता रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जा रहा है, जिसकी आप सभी को ढ़ेरों शुभकामनाएं!

पर क्या आप सभी भाई आज एक सपथ ले सकते है कि इस विश्व में विचरित हर वो नारी, जो भले ही किसी भी रूप में हो, हम उसकी रक्षा के लिए कटिबद्ध रहेंगे और हर उस बहन की यथासंभव सहायता निःस्वार्थ भाव से करेंगे, जिसको कि हमारी सहायता की जरूरत है...?

और हर बहन, फिर चाहे वह किसी भी रूप में हो, क्या वह यह सपथ ले सकती है कि वह भी नारीत्व की रक्षार्थ यथासंभव सबकुछ करेगी और हर भाई, फिर चाहे वह उसका सगा नहीं भी हो, तो भी उसको सगे भाई जैसा स्नेह देकर उसका आत्मविश्वास बढ़ाएगी...?

जब भी कोई भारतीय संस्कृति से जुड़ा त्यौहार आता है, पता नहीं क्यों मेरे मन में एक सवाल अनायास ही उछलने लगता है और जोर-जोर से चीखें मार-मार कर बस मुझसे यही पूछता है कि क्या मैं वर्तमान परिवेश में सही में भारतीय संस्कृति को बचाने और आज के युवाओं को उसके बारे में जानकारी देने में सफल हो रहा हूँ?
और तब बस मैं उससे नजरें चुरा लेता हूँ और दूसरी तरफ मुँह करके सोचता हूँ, आज क्या जवाब दु इसे? क्योंकि इसका जवाब ही नहीं है मेरे पास और आंख से दो बूंद वह अनमोल खारापन लिए पानी आजाद हो जाता है, सदा-सदा के लिए.....!

आज मेरा आपसे भी एक सवाल है....
क्या हम अपने पुरातन संस्कार और भारतीय संस्कृति को समझकर उसके विनास को बचा सकते है? या हर बार की तरह इस बार भी बस फेसबुक, व्हाट्सएप्प और न जाने कितनी ही सोशल साइड्स पर अपनो के साथ सिर्फ कुछ सेल्फीज़ के साथ ही एक दिन का दिखावटी प्यार और त्यौहार मनाने वाले है?

सवाल तो बहुत है मन में, पर इन सवालों को आज के दिन रहने ही देते है। क्योंकि मुझे भी अब सेल्फी के साथ अपना त्यौहार सेलिब्रेट जो करना है....!

भारतीय संस्कृति की जय...!

(लेखक के मन की व्यथा को व्यंग्यात्मक रूप से सिख के साथ दर्शाता यह लेख सोचनीय है। क्या आप में से कभी किसी के मन में यह सवाल आया? यदि हा तो यह शुभ संकेत है और यदि नहीं तो भारतीय संस्कृति विलुप्तप्राय स्थिति में है। हो सके तो इसे बचाने की कोशिश एक बार जरूर करना। धन्यवाद!)

नोट: आपके विचार सादर प्रार्थनीय है। आप अपने विचार कमेंट में या +91-9819715012 पर व्हाट्सएप्प के माध्यम से भेज सकते है।

की कलम से...
प्रवीण सी. सिंघवी.
लेखक और व्यवसायी.