Wednesday 31 October 2018

एक ऐसा भव्य काफिला, जो अपने सौभाग्य को लेने चला..! भाग 02.

आज भाग 02. में आप पढ़ेंगे...! भव्य काफिले ने जुलुष का रूप धारण कर गुरुचरणों में भक्तांजली अर्पित की.

"अब अगला फरमा दो गुरु अवकाश।
कड़ियाँ दीक्षा स्थली हो 2019 वर्षावास।।"

गुरुभक्त एक होते गए और काफिला जुलुष में बदलता गया। सभी गुरुभक्त शांति भवन (स्थानक, भीलवाड़ा) से कुछ दूरी पर जमा होने लगे और देखते ही देखते कई सौ गुरुभक्त जमा हो गए और गुरु के जयकारों से आसमान गूंज उठा। यह उन गुरुभक्तों की भक्तिमय ललकार थी, जो अपने आराध्य को लेने आये थे।
सभी गुरुभक्तों के सिर पर लाल चुनरी का राजस्थानी साफा ऐसे लग रहा था, मानों प्रकृति ने एक बगीचे में कई लाल गुलाब एक साथ खिला दिए हो। सभी श्रावक एक ही तरह की सफेद पौषक में और ऊपर दीक्षा स्थल की मैरून कोटी, गले में गुरुदेव के नाम का दुपट्टा और सीनें पर दीक्षा स्थल का बिल्ला..... ऐसे नजर आ रहे थे, मानों गुरु ने कोई चमत्कार कर सबको एक जैसा बना दिया हो।
वैसे कोई भी कार्यक्रम हो, जैनियों में यह परंपरा बहुत पहले से चलती आ रही है कि सब एक जैसे दिखे। इससे आपस में एकता का बोध भी होता है और कई लोगों में अपने श्रावक को पहचान भी सकते है। जो कि एक अच्छा संदेश भी है। पहले के जमाने में तो दो भाई एक जैसी पौषक पहन कर फुले नहीं समाते थे। पर आजकल यह ट्रेंड कम हो गया है। यह ट्रेंड सिर्फ सामाजिक कार्यक्रमों में या ब्याह-शादीयों में कुछ देर के लिए ही देखने को मिलता है। आजकल के युवाओं में एक जैसा दिखने की होड़ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जो कि एकता की दृष्टि से बहुत ही अच्छा संकेत है।
गुरुभक्त गुरु को लेने चले और महिला भक्त पीछे रह जाए... ऐसा तो कभी हो ही नहीं सकता। एकता को प्रदर्शित करती पुरुष भक्तों की वेशभूषा की तरह ही महिला भक्तों ने भी बांधनी की एक जैसी साड़ियां पहन रखी थी और दीक्षा स्थल का बिल्ला अपने दाहिने हाथ पर लगा रखा था, जो उनको भी पुरुष भक्तों की तरह ही एकता के सूत्र में बांधे हुए था और इसी तरह कई सौ गुरुभक्तों का एक काफिला जो अब भव्य जुलुष का रूप ले चुका था, निकल पड़ा गुरु के जयकारों की गगनचुम्बी गूंज के साथ गुरुचरणों में अपनी विनती समर्पित करने कि हे गुरुवर! आपका 2019 का चातुर्मास आपके द्वारा पावन की हुई भूमि और मेवाड़ की धरा पर बसे एक छोटे से गाँव कड़ियाँ में हो।
क्रमशः...

(आगे... वस्त्रों की नगरी भीलवाड़ा में भोले बाबा की दीक्षा जयंती के हर्षोउल्लास और गुरुवर के आशीर्वाद के साथ प्रस्थान)

पढ़ते रहिए, एक ऐसा भव्य काफिला, जो...... भाग 03.

Monday 29 October 2018

एक ऐसा भव्य काफिला, जो अपने सौभाग्य को लेने चला..! भाग 01.

आज भाग 01. में आप पढ़ेंगे...! गुरुभक्तों के उत्साह और गुरुभक्ति से ओतप्रोत एक भव्य काफिले का आगाज.

"विनती है हमारी गुरु चरण कमल।
2019 वर्षावास हो कड़ियाँ में सफल।।"

सुबह 05:00 बजे एक जोर की आवाज गूंजी...!
"जय अम्बेश, जय सौभाग्य, जय मदन" और गुरु के जयकारें के साथ ही महिलाओं द्वारा मंगल गीत की मधुर आवाज में सुबह की ठंडी हवाओं में एक अलग ही धुन थी।
श्री गुरु सौभाग्य दीक्षा स्थल जन सेवा ट्रस्ट, कड़ियाँ के बाहर एक बस में कई गुरुभक्त मंगलकामनाएं कर रहे थे। यह गुरुभक्त उसी भव्य काफिले का अहम हिस्सा थे, जो गुरु को लेने भीलवाड़ा जा रहे थे।
मैं बात कर रहा हूँ....!
मेवाड़ के गुरुभक्त अपने गुरु को लेने भव्य काफिले के साथ भीलवाड़ा की ओर कूच कर रहे थे। गुरु सौभाग्य की दीक्षा स्थली, कड़ियाँ से, भुताला से, उदयपुर से मुम्बई से बस द्वारा और अपने निजी वाहन से कई भक्त अपने गुरु को लेने जा रहे थे।
गुरुभक्तों के उत्साह को शब्दों में बयां कर दु, इतनी मेरी कलम में ताकत कहा....?? पर उस उत्साह को लिखने की एक असफल कोशिश करने की ठानी। पर शायद यह मेरी कलम के बस की बात नहीं थी। कलम चलाने की कोशिश करता तो जैसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कलम चलने से ना बोल रही हो। वह आगे चलने को तैयार ही नहीं हो रही थी।
सुबह करीब 05:30 बजे रामा से कुछ गुरुभक्त दीक्षा स्थल पहुंच कर बस में बैठे और बस अपने गंतव्य की तरफ आगे बढ़ गयी और इसी तरह एक भव्य काफिले का आगाज हुआ और यह भव्य काफिला अपने गुरु को लेने निकल पड़ा....।
जैसे-जैसे बस आगे बढ़ रही थी, वैसे-वैसे गुरुभक्त और उनका उत्साह भी बढ़ रहा था। कुछ गुरुभक्त सांगठ से बैठे (जो वाटी से थे), कुछ गुरुभक्त कालोड़ा से (जो सेमल से थे), तो कुछ खमनोर से (जो सगरुण से थे)... और इसी तरह गुरुभक्तों का काफिला भव्य से भव्यातिभव्य होता गया।
कुछ ही घंटों बाद यह काफिला विश्व प्रसिद्ध वस्त्रों की नगरी भीलवाड़ा में प्रवेश कर गया। जहां का वातावरण गुरुवृन्द के श्रीचरणों से ज्योतिर्मय तो था ही, गुरुभक्तों के प्रवेश के साथ ही भक्तिमय भी हो गया और देखते ही देखते कई सौ गुरुभक्तों ने भव्य काफिले से एक भव्य जुलुष का रूप धारण कर लिया और चल पड़ा अपने आराध्य को लेने....

क्रमशः...

(आगे... भव्य काफिले ने जुलुष का रूप धारण कर गुरुचरणों में भक्तांजली अर्पित की...)

पढ़ते रहिए, एक ऐसा भव्य काफिला, जो...... भाग 02.