आज भाग 02. में आप पढ़ेंगे...! भव्य काफिले ने जुलुष का रूप धारण कर गुरुचरणों में भक्तांजली अर्पित की.
"अब अगला फरमा दो गुरु अवकाश।
कड़ियाँ दीक्षा स्थली हो 2019 वर्षावास।।"
कड़ियाँ दीक्षा स्थली हो 2019 वर्षावास।।"
गुरुभक्त एक होते गए और काफिला जुलुष में बदलता गया। सभी गुरुभक्त शांति भवन (स्थानक, भीलवाड़ा) से कुछ दूरी पर जमा होने लगे और देखते ही देखते कई सौ गुरुभक्त जमा हो गए और गुरु के जयकारों से आसमान गूंज उठा। यह उन गुरुभक्तों की भक्तिमय ललकार थी, जो अपने आराध्य को लेने आये थे।
सभी गुरुभक्तों के सिर पर लाल चुनरी का राजस्थानी साफा ऐसे लग रहा था, मानों प्रकृति ने एक बगीचे में कई लाल गुलाब एक साथ खिला दिए हो। सभी श्रावक एक ही तरह की सफेद पौषक में और ऊपर दीक्षा स्थल की मैरून कोटी, गले में गुरुदेव के नाम का दुपट्टा और सीनें पर दीक्षा स्थल का बिल्ला..... ऐसे नजर आ रहे थे, मानों गुरु ने कोई चमत्कार कर सबको एक जैसा बना दिया हो।
वैसे कोई भी कार्यक्रम हो, जैनियों में यह परंपरा बहुत पहले से चलती आ रही है कि सब एक जैसे दिखे। इससे आपस में एकता का बोध भी होता है और कई लोगों में अपने श्रावक को पहचान भी सकते है। जो कि एक अच्छा संदेश भी है। पहले के जमाने में तो दो भाई एक जैसी पौषक पहन कर फुले नहीं समाते थे। पर आजकल यह ट्रेंड कम हो गया है। यह ट्रेंड सिर्फ सामाजिक कार्यक्रमों में या ब्याह-शादीयों में कुछ देर के लिए ही देखने को मिलता है। आजकल के युवाओं में एक जैसा दिखने की होड़ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जो कि एकता की दृष्टि से बहुत ही अच्छा संकेत है।
गुरुभक्त गुरु को लेने चले और महिला भक्त पीछे रह जाए... ऐसा तो कभी हो ही नहीं सकता। एकता को प्रदर्शित करती पुरुष भक्तों की वेशभूषा की तरह ही महिला भक्तों ने भी बांधनी की एक जैसी साड़ियां पहन रखी थी और दीक्षा स्थल का बिल्ला अपने दाहिने हाथ पर लगा रखा था, जो उनको भी पुरुष भक्तों की तरह ही एकता के सूत्र में बांधे हुए था और इसी तरह कई सौ गुरुभक्तों का एक काफिला जो अब भव्य जुलुष का रूप ले चुका था, निकल पड़ा गुरु के जयकारों की गगनचुम्बी गूंज के साथ गुरुचरणों में अपनी विनती समर्पित करने कि हे गुरुवर! आपका 2019 का चातुर्मास आपके द्वारा पावन की हुई भूमि और मेवाड़ की धरा पर बसे एक छोटे से गाँव कड़ियाँ में हो।
क्रमशः...
(आगे... वस्त्रों की नगरी भीलवाड़ा में भोले बाबा की दीक्षा जयंती के हर्षोउल्लास और गुरुवर के आशीर्वाद के साथ प्रस्थान)
पढ़ते रहिए, एक ऐसा भव्य काफिला, जो...... भाग 03.
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