Thursday 10 December 2020
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Wednesday 4 November 2020
भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं...!
Tuesday 3 November 2020
एक मैच ऐसा भी...!
मुझे अपने विद्यालय के मैदान में हो रहे फुटबॉल मैच को देखने की जिज्ञासा हुई, तो मैं वहा साईकल से पहुंच गया। मैंने साईकल को नियत स्थान पर खड़ा किया और दर्शक दीर्घा में खाली पड़ी एक कुर्सी पर जाकर बैठ गया। क्योंकि मैं अभी-अभी आया था, तो मैंने अपने पास बैठे एक लडके से मैच का स्कोर जानने के लिए पूछा, "अभी स्कोर क्या है?"
बड़ी ही मनमोहक मुस्कान के साथ उसने बताया, "सामने वाली टीम हम से 3-0 से आगे हैं।"
मैं उसका चेहरा देखकर आश्चर्यचकित रह गया। मेरे मुँह से अनायास ही निकल गया, "वास्तव में...!"
फिर मैंने अपने आप को संभालते हुए उससे कहा, "मेरा मतलब है कि, हम पीछे है और आपके चेहरे पर मुस्कान है। आप बिलकुल भी निराश नहीं लग रहे। जबकि हमारे जितने के चांस भी बहुत कम ही है।"
उस लड़के ने बड़ी ही हैरानी के साथ मुझे देखा और एक हल्की सी मुस्कान के साथ बोला, "जब रेफरी ने अंतिम सीटी नहीं दी है, तो मुझे अभी से हतोत्साहित क्यों होना चाहिए? मुझे हमारी टीम के साथियों और प्रबंधक मंडल पर पूरा भरोसा है। हम निश्चित रूप से जीत जाएंगे।"
कुछ समय निकला ही था कि, रेफरी ने सच में घोषणा कर दी। वह मैच हम जीत चुके थे और वह भी 5-4 के स्कोर के साथ...!
जैसे ही घोषणा सुनी, वह लड़का धीरे से मेरे चेहरे को देखकर मुस्कुराया। मैं उसकी मुस्कुराहट से चकित था, मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। ऐसा आत्मविश्वास...!
जैसे ही उस रात मैं सोने के लिए अपने बिस्तर पर गया, मेरी नींद उड़ चुकी थी। मेरे मन में कुछ विचार रह-रहकर आ रहे थे। उस लड़के का वह मुस्कुराता चेहरा मेरे सामने घूम रहा था। उसका वही आश्चर्यजनक जवाब मेरे सामने घूम रहा था कि, "जब रेफरी ने अंतिम सीटी नहीं दी है, तो मुझे अभी से हतोत्साहित क्यों होना चाहिए? मुझे हमारी टीम के साथियों और प्रबंधक मंडल पर पूरा भरोसा है। हम निश्चित रूप से जीत जाएंगे।"
और अचानक मेरे मन में आया... जीवन भी तो एक खेल की तरह ही है...! फिर क्यों हम छोटी-सी असफलता मिलने पर हतोत्साहित हो जाते है? जबकि हमारा जीवन अभी बाकी है। ईश्वर रूपी उस रेफरी ने अंतिम सिटी बजाई ही नहीं, तो हमें उदास होने की जरूरत ही नहीं है। क्या पता, आने वाले समय में जीवन का मैच हम ही जीत जाएं...!
शिक्षा: "सच तो यह है कि, बहुत से लोग खुद ही अंतिम सीटी बजा लेते हैं...! लेकिन जब तक जीवन है, कुछ भी असंभव नहीं है और ना ही कुछ करने के लिए देरी हो गयी है। आपका गुजरा जीवन, आपका भविष्य कभी नहीं हो सकता। आप खुद से ही खुद के लिए अंतिम सिटी मत बजाइये।"