Sunday 12 June 2016

स्वास्थ्यवर्धक चमत्कारिक (आयुर्वेदिक) चूर्ण:

सामग्री:
250 ग्राम मैथीदाना,
100 ग्राम अजवायन,
100 ग्राम काला जीरा,
100 ग्राम हरड़,

बनाने की विधि:
उपरोक्त चारों चीजों को साफ सुथरा करके हल्का-हल्का सेंक ले। चारों को अच्छी तरह मिक्स करके मिक्सर में पावडर बनाकर डिब्बे में रख ले।

चूर्ण लेने को विधि:
रात्रि को सोते समय एक चम्मच पावडर में थोडा-सा सेंधा नमक मिला के एक गिलास गुनगुने पानी के साथ लेना है।

चूर्ण के लाभ:
01. गठिया जैसा जिद्दी रोग दूर हो जायेगा।
02. हड्डियाँ मजबूत होगी।
03. आॅख का तेज बढ़ेगा।
04. बालों का विकास होगा।
05. पुरानी कब्जियत से हमेशा के लिए मुक्ति मिलेगी।
06. शरीर में नया शुद्ध खुन दौड़ने लगेगा।
07. कफ से मुक्ति मिलेगी।
08. हृदय की कार्य क्षमता बढ़ेगी।
09. थकान नहीं रहेगी, घोड़े की तरह दौड़ते जायेंगे।
10. स्मरण शक्ति बढ़ेगी।
11. स्त्री का शरीर शादी के बाद बेडोल की जगह सुंदर बनेगा।
12. कान का बहरापन दूर होगा।
13. पहले से जो एलाॅपेथी दवाइयाँ खाई हैं, उनके साईड इफेक्ट समाप्त हो जाएंगे।
14. खून की सफाई होंगी और शुद्धता बढ़ेगी।
15. शरीर की सभी खून की नलिकाएँ शुद्ध हो जाएगी।
16. दांत मजबूत बनेंगे, इनेमल जीवंत रहेगा।
18. डायबिटिज काबू में रहेगी। डायबिटीज की जो दवा लेते है वह चालू रखना है। चूर्ण का असर दो माह लेने के बाद से दिखने लगेगा।
19. थाइरोइड वाले रोगी जरूर ले। उनके लिए तो बहुत लाभदायक है।
जीवन निरोग, आनंददायक, चिंता रहित, स्फूर्ति दायक और आयुष्यवर्धक बनेगा।
20. शरीर के कोने-कोने में जमा पड़ी गंदगी (कचरा) मल और पेशाब द्वारा बाहर निकल जाएगा।
21. इससे फालतु चर्बी गल जाएगी।
22. चमड़ी की झुर्रिया अपने आप दूर हो जाएगी।
23. शरीर तेजस्वी, स्फूर्तिवान व सुंदर बनेगा।

चूर्ण के परहेज:
01. गरम पानी के साथ ही लेना है। ठंडा पानी नहीं चलेगा।
02. चूर्ण लेने के बाद कुछ भी खाना-पीना नहीं है। इसलिए इसको सोते समय ही ले।
03. एक साथ सेंधा नमक नहीं मिलाना है। वरना सारा चूर्ण काला पड़ जायेगा।
04. चूर्ण लेने के दौरान ज्यादा तीखी और तली-गली चीजों से परहेज करे।
05. पूरा फायदा 80 से 90 दिन में होगा। इसलिए इसको रोज लेना है।

Note:
01. यह चूर्ण सभी उम्र की महिलाए एवं पुरुष ले सकते है।

Saturday 11 June 2016

किस्म-किस्म के पति...

किसी को तहे दिल से चाहना, मिलन के अनगिनत सपने संजोना और फिर उस शख्स के साथ हर पल एक साथ बिताना.... यह खयाल ही इतना खूबसूरत होता है कि मन रोमांचित हो उठता है। लेकिन तब क्या किया जाये जब जीवनसाथी ऐसा अनजान व्यक्ति हो जिसके स्वभाव के बारे में आप कुछ ना जानती हों?

01.
पजेसिव:
यदि आपकी शादी इस तरह के व्यक्ति से हो जाये तो एक बार तो आप अपने भाग्य पर यकीं नहीं करेंगे कि इतना अच्छा पति मिला है, जो एक पल भी आपसे दूर नहीं रह सकता और पल-पल आपकी खबर रखता है। लेकिन इस तरह के लोग पजेसिव होते है। जो आपको अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय गुजारते नहीं देख सकते। इन्हें लगता है कि आपके लिए दुनिया में एक ही चीज जरुरी होनी चाहिए और वो है आपका पति। यहाँ तक कि आप अपने बच्चों के साथ समय गुजारें, यह भी इन्हें गवारा नहीं। यही नहीं, मायके मत जाओ, दोस्तों से मत मिलो, पल-पल का हिसाब दो जैसी कई बातों से भी आपको हमेशा दो-चार होना पड़ सकता है।

02.
अहमवादी:
इस तरह के लोग आत्मकेंद्रित होते है। इनकी नजर में ये दुनिया में सबसे बेहतर है। अपने आप को सर्वश्रेष्ठ समझने वाले ये लोग चाहते है कि लोग हमेशा इनके गुणों की तारीफ ही करते रहे। ऐसे लोग शादी के बाद अपनी पत्नी के साथ तब तक तो बहुत खुश रहते है जब तक पत्नी इनकी तारीफ के पुल बांधती रहती है लेकिन ताउम्र तो पत्नी के लिए यह संभव नहीं कि अवगुणों को जानकर भी तारीफ करे। ऐसे में साथ ज़िन्दगी बिताना दूभर हो जाता है। ऐसे में पति को आपसे शिकायते होंगी और आपके लिए मुसीबत कि उनकी कमी पर कैसे खुश हुआ जाए?

03.
बॉडी बिल्डर:
इस तरह के लोग अपना ज्यादातर समय ज़िम में ही बिता देते है, अपनी मशल्स बनाने में। दुसरो के सामने अपने जिस्म की नुमाइस करने को ये मर्दानगी समझते है। हो सकता है कि शादी के बाद शुरू में आप खुद को बहुत सुरक्षित महसूस करे। लेकिन कुछ दिनों बाद आप यह जानकर जरूर परेशान हो जाएँगी कि यह आदमी तो सबके सामने हीरो-गिरी दिखाने के लिए बात-बात पर किसी से भी लड़ाई-झगडे और मार-पिट पर उतारू हो जाता है। इससे पति के साथ-साथ आप भी लोगो में चर्चा का विषय बने बगैर नहीं रह पाएंगी।

04.
हिटलर:
इस तरह के व्यक्तियों से सावधान ही रहे। इनके घर में वही होता है जो ये चाहते है। ये उन लोगो में से है जो खुद कानून बनाते है और दुसरों को उनकी बात आँख मूंदकर मानना अनिवार्य है। इनसे शादी करके एक बार तो आप यह सोचकर खुश होंगी कि वाह! मेरा पति तो बहुत आत्मविश्वासी है और हर तरह के निर्णय लेने में सक्षम है। लेकिन आप पर गाज तो तब गिरेगी जब आपको यह पता चलेगा कि उसको आपकी पसंद या विचारो से कोई लेना-देना नहीं है। चाहे फिर बाहर रेस्टोरेंट में जाना हो, फ़िल्म जाना हो या किसी विषय पर सलाह-मशविरा लेना हो, ये आपसे पूछेंगे भी नहीं और आपको उनकी सब इच्छाए भी माननी होंगी। यहाँ तक कि आपके निर्णय भी ये स्वयं ही लेंगे। यानि आपका हेयर कैट कैसा होना चाहिए? कौन-से आउटफिट पहनने चाहिए और आपको क्या करना चाहिए? वगैरा वगैरा.....।

05.
ईर्ष्यालु:
इस तरह के व्यक्ति सोचते है कि वे आपकी ज़िन्दगी के पहले और आखरी व्यक्ति होने चाहिए। आपकी ज़िन्दगी से जुड़े हर व्यक्ति के साथ इनकी प्रतिस्पर्धा होगी। फिर चाहे वह आपकी माँ, बहन या दोस्त ही क्यों ना हो? किसी के प्रति आपके दिल में विशेष जगह हो तो ये बर्दास्त नहीं करेंगे। किसी भी पार्टी, समारोह या रिस्तेदार के घर जाते समय आपको उनका विशेष ख्याल रखना पड़ेगा वर्ना ये सोचेंगे कि आपको इनसे प्यार नहीं।

06.
बादशाही:
यदि आपकी शादी इस तरह के व्यक्ति से होगी तो आप समझेंगी कि आप दुनिया की सबसे खुशनसीब औरत है। इस तरह के व्यक्ति ज़िन्दगी का मजा लेते है, उसे भरपूर जीते है। इनके लिए ज़िन्दगी एक पार्टी की तरह है, जिसका ये भरपूर आनंद उठाते है। ये खुद तो बादशाह की तरह जीते ही है पर आपको भी किसी महारानी से कम नहीं समझते। लेकिन अब जिम्मेदारी की बात आएगी तो ये पीछे हट जायेंगे, क्योंकि ये भविष्य की परवाह नहीं करते। न तो ये ज़िन्दगी की योजना बनाते है, न ही भविष्य के लिए बचत करते है। शादी के बाद जब धीरे-धीरे रोमांस में कमी आएगी, तब आप महसूस करेंगी कि यह व्यक्ति तो केवल सपनो में जीता है। ज़िन्दगी की कड़वी हकीकत से तो इसका कोई वास्ता है ही नहीं।

07.
असुरक्षित:
इस तरह के व्यक्ति कभी खुद कोई निर्णय नहीं ले सकते। इनमें आत्मविश्वास की कमी होती है। हो सकता है कि आप शुरू में यह सोचकर बेहद खुश हो कि मेरा पति हर बात में मेरी राय लेता है, मेरे बगैर एक कदम भी नहीं चलता। लेकिन जब आपको यह पता लगेगा कि वह इतना सक्षम ही नहीं है कि स्वयं अपने निर्णय भी ले सके तो शायद आपको अच्छा ना लगे। ऐसे लोग परिपक्व नहीं होते और हमेशा अपनी माँ का पल्लू थामे रहते है। हर बात में ये अपनी माँ की राय लेना पसंद करते है।

08.
शक्की:
इस तरह के लोग किसी पर भी यकीन नहीं करते। इसी तरह अपने जीवनसाथी के प्रति भी इनके मन में भी कई तरह के संदेह होते है। जैसे: क्या वह सचमुच मुझे प्यार करती है? यदि करती है तो क्यों? कही मेरे आलावा किसी और से भी उसका अफेयर तो नहीं? ये अपने प्रति आपके प्यार को हमेशा आजमाते रहेंगे। इसके बावजूद भी आप पर और आपके व्यवहार पर नजर रखेंगे। आपके घर से बाहर जाते ही वह ये पता करते रहेंगे कि आप कहा है और किसके साथ है? हर पल वे आपके पीछे जासूसों की तरह लगे रहेंगे। हो सकता है पहले-पहले आप इसे अपने प्रति उनका असीम प्यार समझे, लेकिन बाद में आपको इस रिश्ते से घुटन महसूस होने लगेगी।

09.
संवेदनहीन:
ये ऐसे लोग हे जिन्हें दुसरो की भावनाओं से कोई मतलब ही नहीं होता। इन्हें इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई उनके बारे में क्या सोचेगा? ये ज़िन्दगी को प्रेक्टिकल तरीके से देखते है। यदि आपकी कल्पना ऐसे पति की है जो आपको भावनात्मक रूप से सहारा दे सके, तो ऐसे व्यक्ति से दूर रहे। कोई बड़ी बात नहीं कि आपके बहुत बीमार होने के बावजूद वे आपसे यह उम्मीद करे कि आप लंच में उनके लिए क्या बना रही है? या किसी करीबी की मौत को भी बहुत ही सहज रूप से ले ले यह सोचकर कि यह तो शाश्वत सत्य है।

पर ये भी सच है......
ऐसा कोई इंसान नहीं है जो हर तरह से परफेक्ट हो। हर व्यक्ति में कोई-न-कोई कमी तो होती ही है, इसका मतलब ये नहीं कि वह जीवनसाथी बनने के लायक ही नहीं है। बेहतर होगा कि आप उनकी कमी का कारण जाने। उनकी कमी को दूर करना आपके हाथ में है। उनके परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों से मिले, उनका सहयोग ले। उनके अतीत के बारे में जाने। फिर प्यार से उन्हें हैंडल करे। जरुरत हो तो कॉउंसलर की सहायता भी ली जा सकती है।

आज भी हमारे जैन समाज में कुछ अप्राकृतिक और हिंसक रीति-रिवाजों पर प्रतिबन्ध नहीं है। जो हमारे सभ्य समाज और जैन होने के नाते शर्म की बात है। इन रीती-रिवाजों पर मेरे मन की व्यथा को व्यक्त करता यह लेख.....

सबसे पहले तो आपके मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि जैन समाज में ऐसे कौन-कौनसे रीती-रिवाज है, जो अप्राकृतिक और हिंसक है? और उन्हें अप्राकृतिक और हिंसक कहना कहा तक उचित है?

जिसका जवाब मेरे शब्दों में जानने के लिए कृपया मेरा यह लेख पूरा पढ़ें और अंत में इस विषय पर अपने विचार भी सबके साथ साज़ा करे....

जैसा कि आप सभी सदस्यों को तो पता ही है कि हमारा धर्म एक अहिंसक धर्म है। अहिंसा जैन धर्म का मुख्य सन्देश है। जिस पर अहिंसा के अवतार भगवान् महावीर स्वामी ने भी बहुत ही अच्छी-अच्छी बातें फ़रमाई है और अपने गुरुजनो ने भी अहिंसा के सन्देश को जन-जन तक पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हम यु कहे कि जैन धर्म का मतलब ही अहिंसा है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
आज अपने समाज में अहिंसा के बारे में बहुत-सी बाते की जाती है। यहाँ तक कि जमीं पर एक चींटी भी नजर आ जाये तो हम वहां चाहकर भी पैर नहीं रखते और दूसरी तरफ हम समाज में कुछ ऐसी हरकते करते है, जिससे कुछ ही समय में अनगिनत अबोल जीव अपना जीवन खो देते है।
क्या इन जीवों की मौत से हमें हिंसा का पाप नहीं लगता?
क्या यही है हमारा अहिंसक जैन-धर्म? या
क्या मन-वचन-काया वाला सिद्धांत समय के साथ बदल गया?
(इन तीनों सवालों पर कभी मनन करना। अगर आपका दिल अंदर से ना हिल जाए तो मुझे कहना।)

मैं बात कर रहा हूँ, अपने समाज में विभिन्न मांगलिक कार्यक्रमों पर अपनी थोड़ी सी ख़ुशी के लिए या यु कहे कि थोड़े से दिखावे के लिए युवाओं द्वारा की जाने वाली "आतिशबाजी" की।
(आपको यह जानकर ख़ुशी और गर्व होगा कि मैंने आग से चलने वाले पटाखें पिछले करीब 15 साल से नहीं चलाए। मेरी नजर में यह सही नहीं है। इसलिए मैं इन्हें नहीं चलाता।)

सबसे पहले मैं आग से जलने वाले पटाखों से होने वाले विभिन्न नुकसान के बारे में विस्तार से बात करना चाहूँगा। जो इस प्रकार है....

आपको तो पता ही है कि आतिशबाजी से होने वाले धुएं से कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस निकलती है। जो कि समस्त जीव जगत के लिए जानलेवा है। प्रकृति में इसका जितना ज्यादा उत्सर्जन होगा, उतना ही ज्यादा हमें या अन्य जीवों को श्वास से सम्बंधित तकलीफ होंगी। इसका सबसे अच्छा उदाहरण दमा जैसी बीमारी के मरीजो की लगातार बढ़ती संख्या है।

आपको शायद पता होगा कि प्रकृति ने जो मानव को सुनने की क्षमता दे रखी है, उसकी भी एक निश्चित मात्रा तय है। जो कि 85 डेसिबल है। मतलब कि मानव के कान 85 डेसिबल तक की ध्वनि सुनने के लिए ही बने है। इससे ज्यादा डेसिबल की ध्वनि मानव जाती के लिए अभिशाप है, एक तरह का जहर है। जिसे हम धीमा जहर (Slow Poison) भी कह सकते है। इससे विभिन्न बीमारियाँ होने का खतरा बढ़ जाता है। अब आप सोचिए कि एक मानव जो की इतना सहनशील और मजबूत होता है, फिर भी वह 85 डेसिबल की ध्वनि ही सहन कर सकता है तो छोटे जीवों की क्या हालत होती होंगी? जैसे: छोटी चिड़िया, विभिन्न छोटे पक्षी और अन्य छोटे जीव।
और आपको शायद पता होगा कि इस प्रकृति में असंख्य छोटे जीव ऐसे भी है जिनकी सुनने की शक्ति इतनी कमजोर होती है कि थोड़ी-सी भी ज्यादा आवाज से उनकी मौत हो जाती है।

आज चारों तरफ पेड़ कम होते जा रहे है। जिससे प्रकृति द्वारा प्रदत्त जीवन दायिनी ऑक्सीजन गैस का उत्सर्जन भी कम होता जा रहा है। आपको पता है कि समस्त जीवों को जीने के लिए ऑक्सीजन गैस की ही जरुरत होती है और ऑक्सीजन गैस का उत्सर्जन स्थल एक मात्र पेड़-पौधें ही है। दूसरा कोई विकल्प नहीं है और आतिशबाजी से होने वाले प्रदुषण से पेड़-पौधें भी अछूते नहीं है।

आतिशबाजी का रिवाज होने से इस पर खर्च भी होता है। जो फिजूलखर्ची के अलावा कुछ भी नहीं है। अब जो गरीब है। जो मांगलिक कार्यक्रम का खर्च भी बड़ी मुश्किल से उठा पा रहा है। पर वो एक-दूसरे को देखकर दिखावे में ऐसे खर्च करता है। जिससे किसी ना किसी रूप में समाज में प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है। जो एक सभ्य समाज के लिए अच्छा नहीं माना जा सकता।

अब "आतिशबाजी" के खर्च को बचाकर इसका सदुपयोग भी तो किया जा सकता है। पर कैसे?
आइए इसे एक उदाहरण से समझते है...

मेरा जहा तक सोचना है। एक मांगलिक कार्य में आतिशबाजी का खर्च ₹5000 तो हो ही जाता है। इससे ज्यादा ही होता है, पर हम ₹5000 ही मान लेते है। अब ये किसी साधारण मानव के लिए बहुत बड़ी रकम होती है और दूसरी बात इस रकम से मांगलिक कार्य का एक छोटा-सा हिस्सा पूरा हो सकता है। जैसे कि आमंत्रण पत्रिका का खर्च।

और दूसरा ऐसे खर्च करने की बजाए इन ₹5000 को जैन समाज के किसी खाते में डिपॉज़िट करवा दे या जीव दया जैसे किसी अच्छे कार्य में लगा सकते है, तो ज्यादा अच्छा है। क्योंकि इससे समाज की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी और किसी को नुकसान भी नहीं होगा।

इसका तीसरा विकल्प यह भी हो सकता है कि इन ₹5000 से किसी जरूरतमंद की मदद भी की जा सकती है। इससे दो तरफा पूण्य का फल मिलेगा।

चौथे विकल्प के रूप में हम इन ₹5000 से कम से कम 50 पेड़ तो लगा ही सकते है। एक पौधें की कीमत ₹80 मान लेते है और ₹20 उसके साथ होने वाले खर्च के लिए पकड़ सकते है। मतलब कि एक पेड़ लगाने तक का खर्च सिर्फ ₹100 होगा और जरुरी नहीं है की हर व्यक्ति 50 पेड़ ही लगाए। अपनी इच्छा से इस संख्या को कम या ज्यादा भी तो कर सकता है।

आतिशबाजी सुनकर ही आपके दिमाग में मैं जो कहना चाहता हूँ, वह सारी बातें आ गयी होंगी। पर दिमाग में आने से या इस बात पर शोक या दुःख व्यक्त करने मात्र से ही यह बदलाव नहीं आएगा। अपने समाज के वरिष्ठजनों को आगे आकर ऐसे रिवाजों पर प्रतिबन्ध लगाना होगा। वैसे यह काम बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। पर जब इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया तो मुझे लगा कि मुझे आप सभी सदस्यों का इस ओर ध्यान खींचना चाहिए। इसी उद्देश्य से मैंने यह लेख लिखा। ताकि आप सभी का ध्यान ऐसे अप्राकृतिक रिवाजों पर जाये और इन पर प्रतिबन्ध लगाकर जैन धर्म के सिद्धान्तों को समाज में हकीकत का अमली-जामा पहनाया जा सके।

और वैसे भी जैन संघ, कड़ियाँ जैसा छोटा सा संघ अगर "परुषाप्रथा" जैसी कुप्रथाओ को रोक सकता है तो "आतिशबाजी" जैसी प्रथा को रोकना कोई बड़ी बात नहीं है। बस इसके लिए सबको आगे आना होगा और एकझुठ होकर इसको जड़ से उखाड़ फैंकना होगा। तब जाकर ऐसे अप्राकृतिक रिवाजों पर प्रतिबन्ध लगाना संभव हो पायेगा।

(यह मेरे अपने विचार है। सबके विचार भिन्न हो सकते है। पर आतिशबाजी का कोई फायदा नहीं गिना सकता। मेरे इस लेख का मकसद समाज में वर्षों से चले आ रहे कुरिवजों को रोकना है, जो कही न कही समय की भी मांग है। इस विषय पर आपके विचारों का स्वागत करता हूँ। कृपया अपने विचार मुझे भेजने का कष्ट करे।)

मेरा लेख पढ़ने और इस विषय को समझने के लिए धन्यवाद!
जय जिनेन्द्र।

आपके समाज का सदस्य:
श्री पी. सी. सिंघवी, कड़ियाँ।
फ़ोन: +91-9819715012 (मो.)

कांग्रेस पर मोदी जी का प्रभाव.....!!

01.
किस्मत तो राहुल गाँधी जैसी होनी चाहिए।
लगातार असफलता और बिना योग्यता के ही राष्ट्रिय अध्यक्ष पद मिल रहा है और वो भी सर्वसम्मति से।
विजय हो....!!
😊😊😊👍
#AdhyakshRahul

02.
अंकल के टीवी की तरह ही कांग्रेस का फ्यूचर भी डब्बा है जी।
क्योंकि एक अयोग्य शासक का राजतिलक होने वाला है।।
😊😊😊👍
#AdhyakshRahul

03.
कौन कहता है कि भारत में आज राजतंत्र खत्म हो गया..??
यकीं नहीं हो तो राहुल का राजतिलक देख लेना।
😊😊😊👍
#AdhyakshRahul

04.
मोदी भी कमाल के इंसान है जी,
जिसने आज तक एकछत्र राज किया। उसको ही सेवानिवृत करा दिया।
😊😊😊👍
#AdhyakshRahul

05.
कौन कहता है कि समय के साथ कांग्रेस में बदलाव नहीं आया..??
बदलाव भी आया है और सेवानिवृति की योजना भी।
😊😊😊👍
#AdhyakshRahul

के द्वारा लिखा गया:
श्री पी. सी. सिंघवी,
कड़ियाँ।

परिवारवाद यथावत:

01.
विनाश काले, विपरीत बुद्धि।
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष-पद के लिए श्री राहुल गाँधी का नाम उछाला जा रहा है।
😊😊👎
#FutureRahulUnfutureCongress.

02.
राहुल गाँधी के अध्यक्ष बनते ही कांग्रेस-कार्यकर्ताओं को एक और झटका, परिवारवाद की परम्परा यथावत कायम।
😊😊👎
#FutureRahulUnfutureCongress.

03.
राहुल गाँधी के लिए विदेशी दौरें Lucky.
हर साल की तरह इस साल भी गर्मी की छुट्टियों में विदेशी दौरा फिक्स होते ही कांग्रेस की कमान हाथ में लेने का सुअवसर मिला।
😊😊👎
#FutureRahulUnfutureCongress.

04.
राहुल गाँधी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे ही कांग्रेस के उत्तराधिकारी है और यह अधिकार उनसे कोई नहीं छीन सकता।
😊😊👎
#FutureRahulUnfutureCongress.

के द्वारा लिखा गया:
श्री पी. सी. सिंघवी,
कड़ियाँ।