क्योकि उनकी वाणी में हमारी जिव्हा की तरह कटु बैन नही थे। उनके ह्रदय में श्वेताम्बर-दिगंबर का झगड़ा ना था। उनके अंतस् में बीस और तेरह का रगडा न था। वे नियम थोपते नही थे। वे हिंसा रोपते नही थे। वे नित नए धर्म गढ़ते नही थे। वे लकीर के फ़क़ीर बनकर लड़ते नही थे। वे हमारी तरह ढोंगी नही थे। वे दिन के जोगी, रात के भोगी नही थे। वे तो आडम्बरो के बिन थे।
सचमुच......
मेरे भगवान महावीर आज के जैनियो जेसे जैन नही थे।
जय जिनेन्द्र। जय महावीर। जैनम् जयति शासनम्।
सचमुच......
मेरे भगवान महावीर आज के जैनियो जेसे जैन नही थे।
जय जिनेन्द्र। जय महावीर। जैनम् जयति शासनम्।
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