Saturday 23 February 2019

ईमानदार पुलिस अधिकारी, राजनीतिक शिकारियों की पहली पसंद.

अभी कुछ ही महीनों पहले देश के पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने बहुत ही शानदार प्रदर्शन कर भारतीय जनता पार्टी को बहुत बड़ी शिकस्त दी है। राजस्थान और मध्यप्रदेश में तो बहुमत के करीब पर छत्तीसगढ़ में बहुमत से भी बहुत ज्यादा सीटों के साथ राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने अपनी सरकार बनाई। यह राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के लिए डूबते को तिनके का सहारा जैसी साबित हुई है, क्योंकि 2013 के बाद से ही ज्यादातर चुनावों में बड़ी शिकस्त ही झेलनी पड़ी और 2014 के लोकसभा चुनावों में तो देश की इस सबसे बड़ी पार्टी के खाते में विपक्ष में बैठने लायक भी सिटें नहीं आई। यह समय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे विकट समय रहा। क्योंकि इसके बाद भी लगातार छोटें-बड़े चुनावों में भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं रहा और लगातार विफलता ही हाथ लगी। पर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव इनके लिए भाग्यशाली साबित हुए और इन तीन राज्यों में सफलता इनकी झोली में रही।

यह हम सभी जानते है कि राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का इतिहास देशद्रोही गतिविधियों से भरा पड़ा है। इनके समय के घोटाले विश्वविख्यात है और यह स्वभाव इन तीन राज्यों में विजय के साथ फिर से उभर कर सामने आने लग गया है। जैसा कि विधानसभा चुनाव के समय किसानों की कर्जमाफी का वादा राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने किया था, जो आज तक भी पूरा नहीं हो पाया है और ऊपर से राजस्थान में यूरिया घोटाला भी हो गया। किसानों के कर्ज माफ तो नहीं हुए, पर उनके हिस्से का यूरिया ही गायब हो गया। जो राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का इतिहास रहा है।

राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के समय में आपराधिक और आतंकी गतिविधियों का भी बहुत बड़ा इतिहास है। 2004 से 2014 तक राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से और देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय में भी देश में कई आतंकी हमले और जगह-जगह बम धमाके हुए, जिनमें सैकड़ो आम नागरिकों की जानें गयी और कई घायल हुए। राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का आपराधिक तत्वों से प्रेम बहुत पुराना है। जो समय-समय पर सबके सामने छलकता रहा है और इसके चलते इनके शासन में आज तक कई ऐसे फैसले भी हुए है, जो आश्चर्यजनक से ज्यादा असमंजस की स्थिति पैदा करने वाले है। इसी का एक उदाहरण अभी-अभी राजस्थान के उदयपुर जिले के भूपालपुरा थाने में देखने को मिला।

सबकुछ सही चल रहा था कि अचानक भूपालपुरा थाने में एक पत्र आया, जो शायद ऊपर से होता हुआ भूपालपुरा थाने में पहुँचा। जब उस पत्र को खोलकर पढ़ा गया तो एकाएक किसी को इस पत्र पर यकीन ही नहीं हुआ। क्योंकि यह कोई साधारण पत्र नहीं था, बल्कि यह पत्र था भूपालपुरा थानाधिकारी हरेंद्र सिंह सौदा के नाम, जिनको आई जी ने यहां से पदोन्नत कर अपने कार्यलय में लगा दिया और आश्चर्य की बात तो यह है कि इसकी जानकारी उदयपुर पुलिस अधीक्षक कैलाश चंद्र बिश्नोई को भी नहीं थी। हरेंद्र सिंह सौदा, वर्तमान पुलिस अधीक्षक कैलाश चंद्र बिश्नोई, पूर्व उदयपुर पुलिस अधीक्षक कुंवर राजदीप और राजेंद्र प्रसाद गोयल के विश्वासपात्र पुलिस अधिकारीयों में से एक है।

अब आपके मन में एक सवाल जरूर आ रहा होगा कि इसमें नया क्या है? और दूसरी बात इसमें तो खुशी की बात ही है कि किसी थानाधिकारी की पदोन्नति हुई है। तो इसमें इतना आश्चर्य करने वाली कौनसी बात है?

पर यहां आपको यह जान लेना भी जरूरी है कि भूपालपुरा थानाधिकारी हरेंद्र सिंह सौदा कोई साधारण थानाधिकारी नहीं थे। उनकी छवि अपराधियों के लिए काल के समान और आम नागरिकों के लिए फ़रिश्तें के समान है। वे ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा की साक्षात मूरत है। अपराधी चाहे कितना भी ताकतवर या बड़ा क्यों न हो? अगर उसका मुकदमा हरेंद्र सिंह सौदा के पास आ गया, तो समझों उसको फिर भगवान भी नहीं बचा सकता। उन्होंने कई ऐसे खूंखार अपराधियों को पकड़ा है, जिनकी गिरफ्तारी के बारे में सोचकर ही पुलिस के पसीने छूटने लगते थे। उनकी नजर में अपराधी, अपराधी ही था, फिर भले ही वह किसी राजनेता या बड़े घर का बेटा ही क्यों न हो? उदयपुर के कुख्यात अपराधी मोहम्मद आजम, इमरान कुंजड़ा जैसे खतरनाक अपराधियों को पकड़ने और उनसे कई महत्वपूर्ण खुलासे करने में भी हरेंद्र सिंह सौदा की अहम भूमिका रही। उनके कार्यकाल में उदयपुर का माहौल बेहद शांत और सुरक्षित था।

वे जब सुखेर थाने में कार्यरत थे, तब उन्होंने कांग्रेस जिला देहात अध्यक्ष लालसिंह झाला के बेटे अभिमन्यु सिंह झाला को भी आपराधिक गतिविधि में शामिल होने के लिए गिरफ्तार कर उसके ऊपर मुकदमा चला दिया था। शायद आज उनकी इस तरह पदोन्नति उसी का परिणाम है, जो उन्होंने लाल सिंह झाला के बेटे अभिमन्यु सिंह झाला के साथ किया। क्योंकि जब यह हुआ था, तब वसुंधरा सरकार थी, पर जैसे ही वसुंधरा सरकार गयी और गहलोत सरकार आयी, लालसिंह झाला ने अपनी ताकत का इस्तेमाल कर यह पदोन्नति करवा दी। जबकि ऐसी बातों से लाल सिंह झाला ने साफ इंकार किया है। लोगों की माने तो यह पदोन्नति राजनीतिक दबाव का ही परिणाम है। जिसकी अभी तक आधिकारिक पुष्टि तो नहीं हो पाई है।

फिलहाल हरेंद्र सिंह सौदा को तत्काल भूपालपुरा थानाधिकारी के पद से मुक्त कर आई जी कार्यलय में लगा दिया गया है। जिसका आम जनता ने विरोध भी दर्ज करवाया है। अब आगे क्या होगा....??? यह समय ही बता पायेगा...!

जय हिंद..!!

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