आज भाग 01 में आप पढ़ेंगे...!
मेरी यात्रा की शुरुआत और जयपुर तक पहुंचने का सफर.
मैंने पहली बार जयपुर की यात्रा की। यह यात्रा काफी यादों से भरी और रोमांचक थी। मैंने पहले ही उदयपुर से जयपुर के लिए रेल में टिकट ले लिया, जिससे कि सफर में कोई असुविधा न हो। मैंने उदयपुर से दोपहर 03:05 की रेल पकड़ी और रात 10:10 पर जयपुर पहुंच गया। चूंकि रात का समय था और रुकने का कोई ठिकाना भी निश्चित नहीं था और यह जयपुर की पहली यात्रा भी थी। जयपुर के बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं थी, तो मैंने रेल में ही ओयो (OYO) के माध्यम से एक कमरा किराए पर ले लिया, जो कि अंकुर पैलेस होटल में था। मैंने जयपुर पहुंचने के बाद रेलवे स्टेशन से बाहर आकर गूगल मैप के माध्यम से होटल की लोकेशन चालू करके पैदल ही होटल चलना ज्यादा उचित समझा, क्योंकि मेरे पास अब बहुत समय था। मुझे होटल में कमरा रात 12:00 बजे से सुबह 11:00 बजे तक के लिए मिला था। रेलवे स्टेशन से होटल जाने में मुझे मुश्किल से आधा घंटा ही लगा होगा। मैंने होटल पहुंच कर कमरे के लिए होटल के रिसेप्शन पर बात की, तो उन्होंने मुझसे आईडी मांगकर रजिस्टर में मेरी जानकारी लिखी और मुझे कमरा नं. 403 दिया। मेरे साथ होटल का एक स्टाफ आया और मुझे कमरे में छोड़कर चला गया। इस कमरा नं. के साथ मेरी कुछ फीलिंग्स भी जुड़ गई, क्योंकि कमरा नं का सांख्यिकी योग (4+0+3) किया जाए तो योग 07 आएगा, जो कि मेरा लकी नं. भी है और मेरा पसंदीदा नं. भी। पहली ही यात्रा में पसंदीदा नं. का कमरा मिलने से मेरी खुशी काफी बढ़ गई, पर होटल ज्यादा अच्छी नहीं थी, न ही वहां की सुविधाओं में कुछ खास दिखा मुझे। वहां का स्टैंडर्ड भी इतना खास नहीं था। बस वहां की कोई चीज मुझे पसंद आई तो सिर्फ कमरा नं. और वहां के स्टाफ का व्यवहार। स्टाफ का व्यवहार ज्यादा अच्छा नहीं तो ज्यादा बुरा भी नहीं था।
कृमशः...
(आगे... रात रुकने के बाद नई सुबह का सफर) पढ़ते रहिए, गुलाबी नगरी की......... भाग 02.
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