आँखे हम भी तरेर सकते है,
गाली हम भी भौंक सकते है,
पर यहां शर्म अंगीकार है।
यही तो संस्कार है।.....😔
वार तो हमें भी आता है,
तकरार की भी हमारी गाथा है,
पर ऐसे हमें धिक्कार है।
यही तो संस्कार है।.....😔
तोड़ना हमारे खून में है,
मरोड़ना हमारे जुनून में है,
पर नहीं हम ऐसे मक्कार है।
यही तो संस्कार है।.....😔
राज तो हमारा बरसों से है,
आपसी मतभेद सिर्फ तरसों से है,
पर यह नहीं हमारा प्रकार है।
यही तो संस्कार है।.....😔
जिगरा हम भी रखते है,
शौले हमारे यहां भी पकते है,
पर हम नहीं सरकार है।
यही तो संस्कार है।.....😔
रंग बदलना हम भी जानते है,
नरमुंडों की माला हम भी मानते है,
पर यहां हम करते सत्कार है।
यही तो संस्कार है।.....😔
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