Saturday 2 April 2016

आतंकवाद के विरोध में दुनिया और चीन का नरम रुख...

USA में हुए शिखर सम्मेलन में विश्व के सभी देश आतंकवाद को दुनिया की सबसे बड़ी समस्या मानकर उस पर काबू पाने के मुद्दे पर विचार कर रहे है। जिसमें भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी के भाषण के अनुसार विश्व की इस गंभीर समस्या को विश्व के सभी देश मिलकर ही हल कर सकते है। उनके अनुसार आतंकवादी 21वीं सदी की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे है। वे मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में कर रहे है, तो हमें भी उनके हिसाब से उनसे मुकाबला करना पड़ेगा। हम आज तक पुराने तरीके से आतंकवाद को रोकने का प्रयास करते आये है, जो कि असफल प्रयास ही है। अब समय आ गया है कि आतंकवाद को सभी देश मिलकर जड़ से उखाड़ फेंके।

अमेरिका के राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा ने कहा कि ISIS सबसे बड़ा आतंकी संघठन है। जिसने पिछले कुछ समय में विश्व में अपनी धाक जमाई है।

दुनिया के सभी देशों को डर है कि कही आतंकी संघठन के हाथों परमाणु हथियार ना लग जाये। (आपको बता दू कि पिछले कुछ समय में पाकिस्तान ने नयी टेक्नोलॉजी के परमाणु हथियार विकसित कर लिए है, जो कि पाकिस्तानी आतंकी संघठनों के हाथो लगने का डर दुनिया के सभी देशो को सता रहा है।) इस सम्मेलन में सभी देशो के बीच परमाणु हथियारों के आतंकी संघठनों से सुरक्षा के मुद्दे पर बातचीत हुई। जिसमें भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी अपने विचार रखे। जिसे दुनिया के सभी देशों ने बहुत सराहा।

एक तरफ दुनिया के सभी देश आतंकी संघठनों का सफाया करने के लिए एकजुठ हो रहे है, तो दूसरी तरफ चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीन ने पाकिस्तानी आतंकी संघठन जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर (जो कि भारत के पठानकोट आतंकी हमले का मास्टरमाइंड है।) के पक्ष में वीटो लगाकर उसे आतंकवादी संघठन कहने से ही इंकार कर दिया। जबकि चीन को सबकुछ पता है। चीन का भारत के प्रति दोगलापन का ये पहला उदाहरण नहीं है। उसने पहले भी कई बार भारत की पीठ पर खंजर ठोके है। एक तरफ वो भारत से दोस्ती का हाथ मिलाता है। भारत के साथ अच्छे रिश्तों की बड़ी-बड़ी बाते करता है और दूसरी तरफ वो पाकिस्तान को भी सपोर्ट करता है, जो कि आज की तारीख में आतंकवादियों का देश बन कर रह गया है। दुनिया में जितने भी आतंकी संघठन है। उनका कही न कही पाकिस्तान से सम्बन्ध जरूर है। इस तरह खुलेआम चीन का आतंकी संघठन को सपोर्ट करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

भारत, चीन का सबसे बड़ा व्यावसायिक बाजार है। चीन की आर्थिक ग्रोथ भारत के बाज़ारो पर ही टिकी है। ये चीन को हमेशा याद रखना चाहिए।

जब से माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने है। तब से ही चीन के तेवर थोड़े अलग हो गए है। श्री नरेंद्र मोदी जी की अगुआई में भारत ने पिछले कुछ समय से दुनिया में काफी अच्छी शाख बनाई है। जिससे भारत की आर्थिक ग्रोथ काफी अच्छी हुई है। जो की चीन की आर्थिक ग्रोथ से कुछ ज्यादा ही है। पिछले 2 सालों में FDI के मामले में भारत ने चीन को कड़ी टक्कर दी है। जिससे चीन बोखलाया हुआ है। उसे भारत की ग्रोथ से डर लग रहा है कि कही मेरे बाजारों पर भारत कब्ज़ा ना कर ले???

इस वजह से वो कही ना कही भारत से जलता है। जिसके परिणाम स्वरूप वो भारत के दुश्मन देश पाकिस्तान का पूरा सपोर्ट कर रहा है। भारत से जलन के चक्कर में अब तो वो पाकिस्तानी आतंकी संघठन का भी खुलेआम समर्थन करने लग गया है। ये अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है।

चीन का आतंकी संघठन को सपोर्ट करने वाला मुद्दा भारत में बहुत ही बढ़ गया है। सब भारतीय इसका विरोध कर रहे है। कुछ का तो कहना है कि सभी भारतीयों को चीन के प्रोडक्ट खरीदना ही बंद कर देना चाहिए। क्योंकि चीन हमारे ही पैसों से हमारे दुश्मनों को सपोर्ट कर रहा है। भारतीय लोगो के इस कदम की प्रसंशा करनी चाहिए। ये राष्ट्रहित में बहुत ही बड़ा फैसला है। ये एक तरह की देशभक्ति ही है। इसके सराहनीय कदम के लिए मै सभी भारतीयों को दिल से धन्यवाद देता हूँ।

भारतीयों के देशहित में लिए गए इस फैसले को भारत की केंद्र सरकार को ध्यान में रखकर एक फैसला खुद भी करना चाहिये और वो फैसला यह है कि जिस तरह वीटो लगाकर चीन ने पाकिस्तानी आतंकी संघठन को आतंकी कहने से मना कर दिया। ठीक उसी प्रकार माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी को भी वीटो का प्रयोग करते हुए चीन के किसी भी प्रोडक्ट को भारतीय बाजार में लाने से मना कर देना चाहिए। भारतीय बाजार से पूरी तरह बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए। जिससे चीन को अपनी मर्यादा याद आ जाये और वो गलत का साथ ना देकर सही रास्ते पर आ जाये।

भारत की केंद्र सरकार से मुझे पूरी उम्मीद है कि इस विषय पर वो अपना ध्यान केंद्रित करेगी और राष्ट्रहित में कुछ अच्छा कदम उठाएगी।

।।जय हिन्द।। ।।भारत माता की जय।।

एक देशभक्त की कलम से...

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