Sunday 20 March 2016

एक्साइज़ ड्यूटी के विरोध में होते दो-तरफ़ा खेल के बारे में मेरे विचार...

मुम्बई, 20 मार्च, 2016...
   भारत सरकार द्वारा आम बजट, 2016 में सोना-चांदी पर लगाई गयी एक्साइज़ ड्यूटी के विरोध में 17 मार्च, 2016 को दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल रैली का आयोजन किया गया और 19 मार्च, 2016 को काशिमिरा, शिवाजी महाराज पुतले से महानगर पालिका, मीरा-भायंदर तक एक मोर्चा निकाला गया। जिसमे मैंने भी भाग लिया था। (क्योंकि मै भी इसी फिल्ड से जुड़ा हुआ हूँ।)

   जिसमे व्यापारियों का विरोध देखकर तो ऐसा लगा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली जी अभी यहाँ आकर अपना इस्तीफा इन व्यापारियों के हाथ में सौंपकर ये कह देंगे कि......
   हमारे प्यारे व्यापारियों!!! हम एक्साइज़ ड्यूटी वापस लेते है और जो आपका इतने दिनों तक दुकानें बंद रखने से नुकसान हुआ है उसका हर्जाना भी हम आपको देते है। (और यह कहकर एक चेक इन व्यापारियों के हाथ में देते है।) और हमने आपका दिल दुखाया, उसके लिए हम अपना इस्तीफा दे रहे है। (और इस्तीफा इन व्यापारियों के हाथ में देते है।)
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   कितनी बड़ी विडम्बना है इस देश की??? कि जो एक दिन पहले एक्साइज़ ड्यूटी के विरोध में रैली में बड़-चढ़ कर नारेबाजी कर रहे थे और हाथ ऊँचे कर-कर के फ़ोटो खिचवा रहे थे और इस बंद का समर्थन कर रहे थे। वे ही आज अपनी दुकाने खोलकर बैठे है।

   ये खाली दिखावा है। देश का माहोल ख़राब करने का एक तरीका है। और कई लोग तो एन्जॉयमेंट के लिए और फ़ोटो सेसन के लिए रैलियों में हिस्सा लेते है। ताकि फेसबुक पर डाल सके। अपने दोस्तों और परिचितों को बता सके कि हमने भी रैली में हिस्सा लिया।

   इससे क्या होगा???

   आपको दुकाने बंद रखनी है तो पूरी तरह से बंद रखो ना। विरोध करने का आपका हक़ है। आप करो। पर ये आधा-अधूरा विरोध कोई मायने नहीं रखता। एकता रखो तो पूरी तरह से रखो। वर्ना कुछ विभीषणों के कारण सब किया कराया मिट्टी में मिल जायेगा। इतने दिन बंद रखकर जो नुकसान किया। उसका कोई मतलब ही नहीं रह जायेगा।

   दो दिन पहले मुझे पता चला कि चेन्नई में एक्साइज़ ड्यूटी को मान लिया गया है। आज सुबह मुझे पता चला कि नालासोपारा में दुकाने खोल दी गयी है। सब दुकाने भले ही ना भी खुली हो तो भी कुछ दुकाने तो खुल गयी ना। इसके थोड़ी देर बाद मुझे पता चला कि भायंदर के केबिन रोड की दुकाने और भांडुप मार्किट की दुकाने खुल गयी है।

(मार्किट खुलने की पुष्टि मै नहीं करता हूँ। मुझे जैसा मार्किट से पता चला, वैसा मैंने लिख दिया है। अब ये कोरी अफवाह हो तो मै इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता हूँ। मेरा उद्देश्य किसी की इंसल्ट करना नहीं है। मै तो बस कुछ लोगो को समझाना चाहता हूँ कि विरोध पूरा करना है, आधा-अधूरा नहीं।)

   अब आप ही बताओ ऐसे एक्साइज़ ड्यूटी हटेगी क्या???

   जो व्यापारी अपनी दुकाने बंद रखकर बैठे है, वे तो मुर्ख ही हुए ना इनके हिसाब से???

   सभी ज्वेलर्स असोसिएशन से मेरा निवेदन है कि अगर आपको एक्साइज़ ड्यूटी के विरोध में अपनी दुकाने बंद रखनी ही है तो पूरी तरह से बंद रखो। अगर आधी-अधूरी बंद रखनी है तो इसकी बजाय पूरी खोलकर अपना धंधा करो। क्यों फालतू में बंद रखकर अपना और देश का नुकसान कर रहे हो???

   इधर ज्वेलरी स्टाफ परेशान है कि दुकाने खुलेगी कि नहीं खुलेगी??? क्योंकि 3 दिन बाद होली है। अब आप ही सोचो कि जब दुकाने चालू रहती है तो त्यौहार में इनको गाँव की होली खेलने जाने को मिलता है क्या???

   अभी दुकाने बंद है। काम कुछ है नहीं। तो स्टाफ भी गाँव की होली खेलने जाने के लिए उत्सुक है। पर ये बंद-चालू, बंद-चालू में ना तो वे गाँव की होली खेलने जा सकते है और ना ही यहाँ ढंग से दुकानदारी कर सकते है।

   मेरे हिसाब से तो ज्वेलर्स स्टाफ का भी एक ग्रुप या असोसिएशन होना चाहिए। ताकि वे इस विडम्बना का विरोध कर सके।

   किसी ज्वेलर्स असोसिएशन या उसकी कार्यकारिणी में इतनी ताकत नहीं है कि वो अपने असोसिएशन के अंतर्गत आने वाली दुकानों को पूरी तरह से बंद करवा सके, तो कार्यकारिणी सदस्य अपना इस्तीफा दे दे या असोसिएशन ही बंद कर दे। क्योंकि जब आप कुछ कर ही नहीं सकते तो फालतू की राजनीती का क्या मतलब??? असोसिएशन खाली नाम के लिए नहीं होता है, उसमे कुछ काम भी होना चाहिए।

   ये लेख एक ज्वेलरी स्टाफ के मन की व्यथा और ज्वेलर्स एसोसिशनों या कुछ दुकानदारों की दो-तरफा राजनीती को व्यक्त करने के लिए मैंने लिखा है। मै चाहता हूँ कि इस पर सभी ज्वेलर्स एसोसिशन ध्यान दे और उचित कदम उठाये।

   रही बात एक्साइज़ ड्यूटी के विरोध की, तो मै सभी ज्वेलर्स-व्यापारियों के साथ हूँ। क्योंकि मै भी इसी धंधे से जुड़ा हुआ हूँ।

   अगर एक्साइज़ ड्यूटी पर मेरे अपने विचार आप जानना चाहते है तो आज तक (20 मार्च, 2016) का माहौल और ज्वेलरी व्यापारियों का विरोध और दो तरफ़ा खेल देखकर मुझे तो नहीं लगता कि एक्साइज़ ड्यूटी हटने वाली है। बाकि आगे तो समय आने पर ही पता चलेगा।

   इसका कोई ये मतलब ना निकाले कि मै एक्साइज़ ड्यूटी के पक्ष में हूँ। क्योंकि मै भी इसके विरोध में ही हूँ। आपको यकीं नहीं होता है तो मेरी कल (19 मार्च, 2016) की पोस्ट (फेसबुक पर) जिसमे मैंने काशीमीरा ज्वेलर्स एसोसिशन के साथ काशिमिरा वाली रैली में भाग लिया था। एक बार देख ले।

धन्यवाद!😢👍

आपका अपना ज्वेलर्स व्यापारी (स्टाफ)...
Mr. P. C. Singhvi, Kadiya.
(+91-9819715012).
Email: praveensinghvi89@gmail.com

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