Tuesday 16 February 2016

JNU में चल रहे विवाद पर मेरी टिपण्णी...


  
   जवाहरलाल नेहरू यूनिवरसिटी (JNU), दिल्ली में जो विवाद चल रहा है। उसे सुनकर दुःख होता है कि अपने ही देश के युवा अपने ही देश के विरोध में खड़े हो रहे है। जिन युवाओ को भारत की रीढ़ की हड्डी समझा जाता है। जिन युवाओ के कंधो पर देश की जिम्मेदारी है। भारत माँ की आन, बान और शान की रक्षा की जिम्मेदारी है, वो ही युवा भारत माँ को लज्जित कर रहे है।
  
   एक तरफ उस जमाने को देखो..... जब भारत माँ के लाडलो ने भारत माँ की आन, बान और शान की रक्षा के लिए सब ऐसो-आराम छोड़कर अपनी जान हथेली पर लेकर लड़ गए थे। अपने से कही गुना ज्यादा ताकत से भीड़ गए थे। अपनी जान की फिकर नही थी उनको, पर भारत माता की इज़्ज़त उनके लिए सर्वोपरि थी। उन्होंने इतने दुःख सहने के बाद भी "इंकलाब जिंदाबाद" या "वंदेमातरम्" बोलना नही छोड़ा। मरते दम तक, आखरी सांस तक उन्होंने "भारत माता की जय" बोला। वो तो चले गए, पर भारत माँ को उसका हक़ दिला गए। भारत माँ को उसकी इज़्ज़त रूपी चुनरी ओढ़ा गए। वो शहीद हो गए। उनको आज भी पूरी दुनिया नमन करती है।

क्या उन शहीदों के परिवार नहीं थे?
क्या वो गद्दारो से हाथ मिलाकर हर ऐसो-आराम नहीं पा सकते थे?
क्या उनको मरने का शोक था?
क्या वो आज के युवाओ की तरह युवा नही थे?
क्या वो भी गद्दारी कर देते भारत माँ के साथ तो क्या आज के युवा ऐसे विरोध जता सकते थे? या ऐसे प्रदर्शन कर सकते थे?

   आज के युवाओ के लिए देश क्या नही कर रहा है??? मोदीजी या आज की सरकार युवा सोच के साथ ही तो आगे बढ़ रही है। इतने कम समय में इतना दुनिया में भारत माँ का नाम हुआ, तो ये क्या कम बात है???

   आज के युवाओ को तो गर्व होना चाहिए अपने आप पर, अपनी सरकार पर कि ऐसी सरकार हमें नशीब हुई जो दिन-रात भारत माँ के बारे में सोचती है। दिन-रात देश के भविष्य के बारे में सोचती है। दिन-रात युवाओ के विकास के बारे में सोचती है।

   और आज का युवा ये सब कर रहा है। शर्म आती है मुझे उन युवाओ को भारतवासी कहते हुए। अरे...!!! एक तरफ आज की सरकार दुनिया में भारत माँ के गद्दारो को सबक सिखाने में जुटी है और एक तरफ खुद भारत माँ के लाल ये सब कर रहे है।

   अब जब गद्दार अपने ही देश में बैठे है तो मेरे विचार से हमारे पास एक ही चारा बचता है और वो है.......
   इन गद्दारो के विरुद्ध आम जनता पूरी तरह मोर्चा खोल ले। आम जनता जो देश का भला चाहती है, वो इनके साथ अपने जो भी सम्बन्ध हो, तोड़ दे। इनकी हर सुविधा पर बेन लगा दे। अपने आस-पास जो भी गद्दार दिखाई दे, उसे या तो पुलिस को शौप दे। या अपने हिसाब से उसे ऐसी सजा दे कि वो सपने में भी ना सोचे गद्दारी करने की।
बाकि काम तो पुलिस या प्रशासन कर ही रहा है।

   मैंने सुना था कि कुछ लोगो ने इन गद्दारो को सबक सिखाने के लिए मोर्चा खोल लिया है। उनको में तहे दिल से धन्यवाद देता हूँ।
  
   जिनमे मुख्य रूप से वो मकान-मालिक है, जिनके घर में ये लड़के किराये पर रहते थे। उन मकान-मालिको ने उनको घर से निकाल दिया। माननीय श्री रतन जी टाटा (टाटा ग्रुप) ने भी बहुत ही सराहनीय कदम उठाया इन युवाओ के विरोध में। उन्होंने JNU के किसी भी छात्र को नौकरी देने से स्पष्ट मना कर दिया। माननीय श्री रतन जी टाटा वेसे भी देशप्रेम के लिए प्रसिद्ध है। उनके देश के प्रति प्रेम के कई किस्से आपको मिल जायेंगे। उन्होंने थोड़े समय पहले पकिस्तान का बहुत बड़ा आर्डर पूरा करने से मना कर दिया था। जिसमे पाकिस्तान ने उनसे उनकी 4 पहिया गाडियो को खरीदने की बात कही थी। ऐसे राष्ट्रभक्त को नमन्। विरोध के सिलसिले में आगे अपने सैनिकों ने भी विरोध जताया। भारत माता के प्रेमी सैनिकों ने जिनमे कई सैनिक JNU से डिग्री प्राप्त है, उन्होंने अपनी डिग्रीयां वापस करने का फैसला लिया। ये वाकई काबिले-तारीफ है। अपने देश में वकीलो को भ्रष्टाचार का अड्डा माना जाता रहा है, लेकिन उन्होंने भी देशभक्ति दिखाकर उन युवाओ की कोर्ट में ही जमकर धुलाई कर दी। वो कानून के जानकार होने के बावजूद उन्होंने कानून अपने हाथ में ले लिया। ये देशभक्ति नही तो और क्या है???
   मै उन तमाम मकान-मालिको, सैनिकों, वकीलो और माननीय श्री रतन जी टाटा को नमन् करता हूँ, जिन्होंने ऐसे समय में देशभक्ति का परिचय दिया।

   अब मै आपका थोडा सा ध्यान राजनीति की और ले जाना चाहूँगा। वेसे आप खुद समझदार है। आप खुद राष्ट्रभक्त और गद्दार में अंतर निकाल सकते है। पर फिर भी मै मेरे विचार आपके सामने रखना चाहूँगा। मै कोई नयी बात नही कर रहा हूँ। मै तो वही बताने का प्रयास कर रहा हूँ, जो आप सब जान रहे है, देख रहे है, समझ रहे है। पर मै मेरे सोच के आधार पर आपको कुछ बताना चाहता हूँ। मेरे विचार किसी भी राजनितिक पार्टी को सपोर्ट करने के लिए नहीं है या किसी भी राजनितिक पार्टी का विरोध नहीं करते है। पर जो देश के साथ हो रहा है, वो कहे बिना नही रह सकता।

   मै सबसे पहले अपने देश की राजनीती की स्थिति स्पष्ट करना चाहता हूँ। जिसे मै अपने देश के कुछ बड़े राजनितिक ओहदों पर बैठे नेताओं के बयानों द्वारा आपको बताना चाहता हूँ।

01. श्री राहुल गाँधी (सांसद, उपाध्यक्ष, कांग्रेस पार्टी): जो कि मोदीजी के घोर विरोधी और दलितों के मसीहा भी कहे जा सकते है। अब इनको ये पता नही है कि राजनीती किसे कहते है? और ये राजनीती कर रहे है। JNU मामले पर इनका बयान आया कि केंद्र सरकार युवाओ के बोलने का अधिकार छीन रही है। उन युवाओं के विरुद्ध कार्यवायी को ये स्वतंत्रता से जोड़ रहे है।
   अब क्या देश के विरुद्ध बोलने और देश के साथ गद्दारी करने को भी ये देशवासियों का हक़ समझने लगे है?
   क्या देशद्रोह करना अपराध नही है?
   अगर अपराध है तो सरकार का कर्त्तव्य नही बनता कि उस पर लगाम लगाये?
   और अगर सरकार ऐसे अप्राकृतिक तत्वों के विरुद्ध कार्यवाई करती है तो इसमें गलत ही क्या है?
   कांग्रेस के राजकुमार ने अपने बयानों और JNU के युवाओ का समर्थन करके एक बार फिर ये साबित कर दिया कि कांग्रेस पार्टी का मूल मकसद भारत माता को फिर से गुलाम बनाना है। भारत माता के टुकड़े करना है। देश को बर्बाद करना है।

02. श्री नितीश कुमार (मुख्यमंत्री, बिहार): ये बिहार का चुनाव जीत गए तो इन्हें लगता है कि ये प्रधानमंत्री बन गए है। मोदीजी के घोर विरोधियो में इनका मुख्य नाम आता है। हाफिज़ सहिद के JNU समर्थन वाले ट्वीट के बाद माननीय श्री राजनाथ सिंह जी के बयान के सबुत मांग रहे है। क्या इनको पूरा मामला पता नही है? यदि है तो सबुत मांगकर ये अपने आप को दोशद्रोही ही साबित कर रहे है और यदि नहीं है तो उनको बिना जाने कुछ बोलना भी नहीं चाहिए। अब ये माननीय श्री राजनाथ सिंह जी से सबूत मांग रहे है। तो...
   क्या इन्होंने JNU के युवाओ से कुछ सबूत मांगे कि एक आतंकवादी कैसे देशभक्त हो गया? जबकि ये साबित हो चूका था की याकूब एक आतंकवादी था और उसका मुम्बई बम्ब ब्लास्ट, 1993 में बहुत बड़ा हाथ था।
   क्या अब ये फिर से साबित करना पड़ेगा कि अफज़ल एक आतंकवादी था?
   और सबसे बड़ी बात ये मामला दिल्ली का है और नितीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री है। इस हिसाब से तो इनको वहा बोलने का कोई हक़ ही नही बनता। इनको बिहार में चल रहे जंगलराज पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। ना कि दिल्ली के अंदरुनी मामलों पर।

03. श्री अरविन्द केजरीवाल (मुख्यमंत्री, दिल्ली, आम आदमी पार्टी के मुखिया): इनको देश का बच्चा-बच्चा जानता है। ये धरना देने के लिए प्रसिद्द है। इनको भी JNU के युवाओं के समर्थन में देखा गया है। इनको दिल्ली में रहते हुए भारत माँ के लाल शहीद श्री हनुमन्नथप्पा जी को देखने जाने की फुरसत नहीं मिली, पर देश के गद्दारो का समर्थन इन्होंने पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ किया।

   ये राजनीती और अपने वोट-बैंक की खातिर अपने देश के गद्दारो का साथ भी दे सकते है। अब इनके बारे में ओर क्या कहे? ये इतने गिर सकते है कि देशद्रोहियो का खुलेआम समर्थन कर रहे है। अब ऐसे नेताओं को जिताकर जनता एक तरह से अपनी भारत माता का सौदा ही तो कर रही है।

   भारतीय जनता ने मोदीजी को जीताकर बहुत ही बढ़िया कदम उठाया, पर दिल्ली और बिहार की जनता ने उस कदम पर पानी डालने के अलावा कुछ भी नहीं किया। और आज तक वो इस गलती की सजा भुगत रहे है।

   मेरी एक बार पुनः आप सभी देशवासियों और देशभक्तों से निवेदन है कि खाली अपना ही स्वार्थ ना देखे। देश के बारे में भी थोडा सोचे। खाली आलू-प्याज और भिन्डी के भाव के अलावा भी इस देश में बहुत कुछ है। जो आपकी, मेरी या यू कहू की हम सबकी जिम्मेदारी है। उस जिम्मेदारी का भी कभी-कभी ख्याल करें।

   हम सब देश के बॉर्डर पर जाकर तो नहीं लड़ सकते। पर देश के अंदर, अपने आस-पास छुपे गद्दारों का पर्दाफास करके भी तो देश-सेवा कर सकते है। ये देश आपका, मेरा, हम सबका है। इसलिए इसकी हिफ़ाजत करना भी अपना ही फर्ज है।

   जय हिन्द। जय भारत माता। वंदेमातरम्।
और हा.....!!! मै तो "इंकलाब-जिंदाबाद" और "मोदीराज की जय" भी बोलूंगा। अब आप बोलो या ना बोलो, ये आपका अपना फैसला है। जय श्री राम।

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