आज (17 नवंबर, 2022) मैं विरार से ट्रेन (सौराष्ट्र एक्सप्रेस) द्वारा सूरत जा रहा था। ट्रैन दहानू रोड कुछ देर रुकी और फिर अपने गंतव्य की ओर बढ़ गयी। कुछ ही देर में उमरगांव रोड आने वाला था। ट्रैन अपनी गति से आगे बढ़ रही थी और मैं अपनी सीट पर बैठा बाहर के प्राकृतिक नजारों को देख रहा था।
चूंकि मैं लोकल डिब्बे में सफर कर रहा था, तो इस डिब्बे में फेरीवाले बहुत से लोग आ-जा रहे थे। कोई पानी बेच रहा था, तो कोई वड़ा पाव और कोई इडली-चटनी और इस तरह आवाजे चल रही थी। कुछ आवाजे बेचने वालों की, तो कुछ खरीददारों (सवारियों) की।
इसी बीच अचानक से एक आवाज ने मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। मुझे कुछ अजीब लगा और इस आवाज के कर्णपटल से टकराते ही मेरे अंदर तक एक हल्का-सा कम्पन्न महसूस हुआ और मैं अनायास ही इस आवाज की तरफ खींच गया और इस आवाज को निहारने का एक असफल प्रयास-सा करने लगा।
अब आप सोच रहे होंगे कि, "ऐसा क्या था इस आवाज में और आखिर यह आवाज थी, किसकी?"
बस, यही रहस्य मुझे भी खाएं जा रहा था। मेरा भी इस आवाज को लेकर कौतूहल बढ़ रहा था। एक सेकंड मानों, एक घंटे जैसा प्रतीत हो रहा था और इतने में ही मेरी नज़र...
देखो, बढ़ गया न कौतूहल...!? सांस अटक-सी गयी न...!? बैचेनी बढ़ गयी न...!?😳
अब श्वास को धीरे-धीरे छोड़ते हुए इसकी गहराई को महसूस करो। बस यही साधना है, योग और ध्यान साधना...!!!
(नज़र किस पर पड़ी? यह अगले एपिसोड में...😀)
No comments:
Post a Comment